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________________ सिंदूरप्रकरः १२७ अक्षम क्रोधं व रचयति । सतां एतच्चरित्रं वर्त्तते ॥ ६४ ॥ सिंदूरप्रकरग्रंथ, व्याख्यायां हर्षकीर्त्तिनिः ॥ सूरिनिर्विहितायां तु, सौजन्यप्रक्रमोऽजनि ॥ १४ ॥ जापाकाव्यः - उप्पयनंद ॥ नहिं जपै पर दोष, अल्प पर गुन बहु मा नहिं ॥ हृदय धरहिं संतोष, दीन लेखि करुना गनहि ॥ उचित रीति यादरहिं, विमल नय नीति न कहिं ॥ निज जसलहन परहरहिं, राम रचि विषय विहिं ॥ मंमहिं न कोप दुर्वचन सुनि, सहज मधुर धुनि उज्ञरहिं ॥ कहि कवर पाल जंग जाल वस, ए चरित्र सकन करहिं ॥ ६४ ॥ कथाः - जनता उपर कथा कहे बे. नऊयणी नगरीयें विक्रमादित्य राजाने घरे शीलालंकाररूप कमलावती नामें जार्या बे. एकदा राजा सामहे विराजमान थइ खजाना लोकोनें कहेवा लाग्यो के संसारमा एवं कोई ज्ञान प्रवर्त्तमान बे, के जे महारा राज्यने विषे नज - होय ? ते सांजली एक कलावंत देशांतरी पुरुष वोल्यो के हे राजा ! त मारी राज्यमां लक्ष्मीवान् विद्यावान, गुणवान्, एवा अनेक पुरुषो बे, में पोतें पण लक्ष्मी ने विद्यायें करें! सहित बो. तमारी स्त्री सर स्वती सहराबे, दातार शिरोमणि बे, परंतु एक परकाया प्रवेशकारिणी विद्या तमापासें नथी. ते सांजली राजा ससंचम थइ बोल्यो के ते विद्या क्यां बे? ते बोल्यो के स्वामी ! गिरनार पर्वतंनी उपर एक सिद्देश्वर बे तेनी पासें ए विद्या बे. ते सांगली विक्रमादित्य पोताना प्रधानने राज्य ननावी ए काकी ते पर्वत सी चाल्यो. अनुक्रमें घणां कष्ट सहन करी तें पर्वत न पर गयो. तिहां सिद्धेश्वर योगी ने देखी मनमां हर्ष पामी योगीने नमस्कार करी सेवा नक्ति करवा लाग्यो. योगी पण राजानी शुद्ध मनथी सेवा नक्ति देख तुष्टमान थयो | यतः ॥ विष सासणे मूलं, विउ संजमो तवो ॥ वियाई विप्यमुक्कस, कर्ज धम्मो कर्ज तवो ॥ १ ॥ हवे ते. अंवसरें तिहां सिश्वनी पासें बीजो पण परकाया प्रवेशकारिणी विद्यानो अर्थी एक ब्राह्मण प्रवर्त्तमान बे, तेने पण घणा दिवस सेवा नक्ति करतां थया बे. ते पण घणो विनय करे बे, पण तेने कुपात्र जाएगी योगी विद्या या पतो नथी ॥ यतः ॥ विद्यया सह मर्त्तव्यं, न तु देया कुशिष्यके ॥ विद्यया लालितो मूर्खः, पश्चात्संपद्यते रिपुः ॥ १ ॥ माटें ते सिवेश्वर विक्रमादित्यने तत्काल तुष्टमान थयो, पण घणी सेवा करनार एवा विप्रने तुष्टमान न
SR No.010246
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1867
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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