SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अथ ॥ श्री सिंदूरप्रकरः प्रारभ्यते॥ प्रथम ग्रंथना प्रारंनमा संका पोताना जे इष्टदेव तेना चरण स्मरण रूप मंगलाचरण पूर्वक या ग्रंथ सांजलनाराउने आशीर्वाद कहे . - ॥ शार्दूलविक्रीडितवृत्तमम् ॥ . . ॥ सिंदूरप्रकरस्तपःकरिशिरःकोडे कषायाटवी, दा वार्निचयः प्रबोधदिवसप्रारंनसूर्योदयः ॥ मुक्ति स्त्री कुचकुंन (वदनैक) कुंकुमरसःश्रेयस्तरोः पल्लव, • पक्षासः क्रमयोर्नखद्युतिनरः पार्श्वप्रनोः पातु वः॥१॥ यर्थः-( पार्श्वप्रनोः के) श्रीपार्श्वनाथ पंजुना (कमयोः के०) चरण जे तेमना ( नख के०) नख, तेनी (युति के०) कांति, तेनो (नरः के०) समूह, ते (वः के ) तमोने (पातु के) रक्षण करो. हवे ते नखकां तिसमूह केहवो के ? तो के (तपः के०) तपरूप (करि के० ) हस्ती, तेना (शिरः के०) मस्तक,तेनो (कोडे केर) मध्यनाग जे कुंनस्थल तेने विषे (सिंदूरप्रकरः के ) सिंदूरना' पुंज समान ठे, की (कंपाय के ) क्रोध, मान, माया, लोन, ते रूप ('अटवी के ) वनं, तेने बालवा माटे (दा वार्चिर्निचयः के) वनना अभिनी ज्वालाना-समूहनी तुव्य बे. वली (प्र बोध के ) ज्ञान ते रूप जे ( दिवस के) दिवस तेनो (प्रारंन के० ) उदय, तेने विषे (सूर्योदयः के०) सूर्योदय सदृश , वली (मुक्तिस्त्री के०) मुक्तिरूप जे स्त्री, तेना ( कुचकुंन के० ) स्तनकुंज, तेने विषे (कुंकुमरसः के) कुंकुमरसना लेपन समान , तथा ( श्रेयस्तरोः के०) कल्याणरूप जे वृद तेना (पल्लव के०) नवांकुर तेनो डे (प्रोनासः के० ) उत्पत्ति जे थकी, एवो जे. या श्लोकमां नखकांतिसमूहनी रक्तता , माटें सिंदूप्र करनी उपमा पापी . तथा वती या श्लोकमां कोई ठेकाणें (मुक्ति स्त्रीवदनैककुंकुमरसः ) एवो पण पाठ. ले. तेनो अर्थ एवीरीतें डे के मुक्ति रूप स्त्री, शोजायमान जे मुख ते भुखकमल रंगवाने विषे कुंकुमरस लेपन
SR No.010246
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1867
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy