SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 238
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ *जैन जगती . * परिशिष्ट the time of Paraswanath, the predecessor of mahavir would fall a date not later than 600 B. C. V. Smith Mutra Antiquities. अभी हाल में जो मोहन जाडोरा की खुदाई हुई है, उसमें एक ध्यानस्थ मूर्ति मिली है। उसे सब विज्ञजन ५००० वर्ष से भी प्राचीन बताते हैं । कायोत्सर्गस्थ एवं ध्यानस्थ मूर्ति अतिरिक्त जैन और बौद्ध के अन्य कोई नहीं हो सकती है। सर्व जग यह स्वीकार कर चुका है कि बौद्धमत के आदि प्रवर्तक भगवान बुद्ध ही थे जो भगवान महावीर के समय में ही हुए हैं । अतः अब उक्त मूर्ति सब प्रकार से जैनमूर्ति सिद्ध होती है । इस प्रकार हमारी प्राचीनता के अनेक चिन्ह अब उपलब्ध हो चुके हैं और हो रहे हैं। सबका यहाँ स्थानाभाव से उल्लेख अशक्य है । देखिये 'मूर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास' प्र० पंचम ( मुनि ज्ञानसुन्दरजी विलिखित ) । ११६-४ अगस्त सन् १९३४ को प्रकाशित हुए 'बम्बई समाचार' में एक यूरोपयात्री ने लिखा है कि अमेरिका और मंगोलिया में एक समय जैनियों की घनी आबादी थी। आज इन उक्त देशों में भूगर्भ से ऐसी जैन-मूर्तियों के खण्डहर उपलब्ध होते हैं कि जिनसे इस बात की पुष्टि होती है । देखिये 'मूर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास प्र० पंचम | - १२० - भाज संसार के सर्वश्रेष्ठ पुरुष भारत के सपूत महात्मा गांधी हैं । आपने विश्वव्यापी चिरशान्ति के दर्शन २१५
SR No.010242
Book TitleJain Jagti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherShanti Gruh Dhamaniya
Publication Year1999
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy