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________________ जैन जगती, परिशिष्ट .. इन तीनों में प्रतियोगिता एवं कालान्तर में मालिन्यता चल पड़ी थी। बौद्धमत आगे बढ़कर चीन, जापान, ब्रह्मा, पूर्वी यूरोप तक पहुँच गया था । इस धार्मिक-क्रान्ति ने यूरोप में भी धार्मिक क्रान्ति उत्पन्न करदी थी। ११-१२-बिना परिश्रम जहाँ भोगोपकरण उपलब्ध हो उसे भोग भूमी कहते हैं । जैसे स्वर्ग आदि । ___ भारतवर्ष कम-भूमी है, क्योंकि यहाँ भोगोपकरण कर्म करने से उपलब्ध हो सकते हैं। १३-१ भरतक्षेत्र ( भारतवर्ष ), २ हेमवंत, ३, हरिवास, ४ एरण्यवंत, ५ ऐरवंत युगल क्षेत्र, ६ रम्यक्युगलक्षेत्र, ७ महाविदेह क्षेत्र, ये सात क्षेत्र मिलकर जम्बू द्वीप के नाम से विश्रुत हैं। १४-भगवान ऋषभदेव के पूर्व भरतक्षेत्र में कल्पवृक्ष होते थे, जिनसे प्राणियों को इच्छानुसार भक्ष्य और अलंकारादि उपलब्ध हो सकते थे। १५-२५ तक
SR No.010242
Book TitleJain Jagti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherShanti Gruh Dhamaniya
Publication Year1999
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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