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________________ परिशिष्ट [काग़ज़ की महगाई क्या छपाई-व्यय के बढ़ जाने से टिप्पणियें संक्षेप में दी जाती है, क्षमा करें । स्वर्गीय श्रीमद् विजयभूपेन्द्रसूरीश्वर जी के सुशिष्य मुनिराज श्री कल्याणविजयजी के सौजन्य से प्राप्त ग्रन्थोंके आधार पर टिप्पणिये दी गई हैं। लेखक इन मुनिराज का अपार धाभारी है। १-गिरिराज हिमालय भूगोल-प्रसिद्ध पर्वत है और विश्व में सब पर्वतों से उच्चतम पर्वत है । २-भगवान ऋषभदेव-ये इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न नाभि कुलकर के पुत्र थे। ये जैन धर्म के इस अवसर्पिणी कालमें आदि प्रर्वतक हुये हैं । असि ( शस्त्रास्त्र ), मसि (लेखन ) और कसि (कृषी) ये तीनों कर्म सर्वप्रथम मानव-समाज में प्रचलित करने वाले भगवान् ऋषभ ही है। वेदों की रचना भी आप ही के काल में हुई । ७२ नर-कला, ६४ नारी-कला तथा १४ विद्याओं की रचना भी आप ही ने की। भगवान ऋषभ देव की आयु ८४ लाख पूर्व की थी। राजोपाधि सर्व प्रथम जगत में आपने ही धारण की थी। ३-विमलवाहन-ये प्रायः श्वेतगज की सवारी करते थे इस लिये इनका नाम विमलवाहन विश्रुत हो गया। ये प्रथम १६३
SR No.010242
Book TitleJain Jagti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherShanti Gruh Dhamaniya
Publication Year1999
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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