SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-जगती 'जैन-जगती' वास्तव में जैन-जगत् का त्रिकाल-दर्शी दर्पण है। सुकवि ने प्रसिद्ध 'भारत-भारती' की शैली पर जैन समाज को ठीक कसौटी पर कसा है। कई उक्तियाँ रुढ़ि चुस्त साधुओं और श्रावकों को चौंकाने वाली हैं। कहीं-कहीं शब्दों के अत्यंत कम प्रचलित पर्यायवाची रूप आने से साधारण श्रेणी के पाठकों को सहसा रुकना पड़ेगा, किन्तु जो लोग तनिक धीरज से काम लेकर आगे बढ़ेंगे; वे इस पुस्तक में रसामृत के अलौकिक आनंद का आस्वादन करेंगे। 'अरविंद' कवि की यह प्रथम कृति समाज की एक अनिवार्य आवश्यकता की पूर्ति करती है। इसके अतिरिक्त मुझे कवि के अन्य सार्वजनिक विषयों के बड़े-छोटे कई पद्य-ग्रंयों को (अप्रकाशित रूप में ) पढ़ने और सुनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ है । इस अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि यदि जनता ने कवि की कृतियों को अपनाया तो 'अरविंद' के रूप में एक लोक-सेवी कवि का उसे विशेष लाभ प्राप्त होगा। जैन-जगती' जागृति करने के लिये संजीवनी-वटी है। फले हुये आडम्बर एवं पाखंड को नेश्तनाबूद करने के लिये बम्ब का गोला है। समाज के सब पहलुओं को निर्भीकता पूर्वक छूमा गया है। पुस्तक पढ़ने और संग्रह करने योग्य है। ज्ञान-भंडार जोधपुर ) श्रा० कृ० १३-६६ श्रीनाथ मोदी 'हिन्दी-प्रचारक'
SR No.010242
Book TitleJain Jagti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherShanti Gruh Dhamaniya
Publication Year1999
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy