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________________ ( ३० ) संप्रदाय अपने आपको दूसरे से प्राचीन बतलाता है । परंतु यह संतोषपूर्वक सिद्ध किया जासकता है कि दिगंबरों की उत्पत्ति वेतांबरों के पीछे हुई है और वे महावीर के निर्वाण के बहुत समय बाद असली संघ से पृथक हुए हैं । परंतु ऐसा कहने के पहले यह आवश्यक है कि हम दोनों संप्रदायों के धार्मिक ग्रंथों पर सरसरी निगाह डालें । मूर्तिपूजक श्वेतांबरों के सिद्धांत-सूत्र पैंतालिस है परंतु साधु मार्गियों को इनमें से केवल बत्तीस सूत्र मान्य हैं । इसके विपरीत दिगम्बर भाई इन सूत्रों को नहीं मानते और यह कहते हैं कि महावीर के कहे हुए असली सूत्र नष्ट हो गये । यद्यपि श्वेताम्बर सूत्रों के नाम असली सूत्रों के नामोंसे मिलते हैं तथापि उन्हों ने अपने सूत्र पीछे मे गढे हैं । अतएव दिगम्बरों ने अपने शास्त्र स्वयं ही बनाये हैं और ये शास्त्र श्वेताम्बरों के शास्त्रों से कई आवश्यक यातों में नहीं मिलते । महावीर के सच्चे अनुयायी श्वेताम्बर हैं या दिगम्बर, इस प्रश्न का उत्तर उसी समय दिया जा सकता है जब दोनो सम्प्रदायों के शास्त्रों का रचना - काल ठीक ठीक मालूम हो जाय । जिस सम्प्रदाय के पास महावीर के कहे हुए असली सूत्र हैं और जो उनके अनुसार चलता है वही सम्प्रदाय जैन धर्म का सच्चा अनुयायी कहला सकता है । अतएव यह
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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