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________________ (१०) तपस्या को छोड दी और आगे, अपने आप में और जैन साधुओ में भेद करने के हेतु उसने गेरूआ-भगवे वस्त्र धारण कर लिए और एक नये धर्म का प्रचार किया जो उसके नाम पर बौद्ध धर्म कहलाया। एक जैन पद्यावली के अनुसार पिहिताश्रव, जो पार्श्वनाथ के तीर्थ का अनुयायी था, महावीर के समय में विद्यमान था । बुद्धकिति पिहिताश्रव का शिष्य था, इस लिए वह महावीर का समकालीन रहा होगा। इस से यह पता लगता है कि बौद्ध धर्म का मूल संस्थापक एक जैन साधु था । इस बात को पुष्ट करने वाले अन्य प्रमाण नही मिलते, इस लिए संभव है कि कुछ विद्वान् इस कथा की सत्यता पर सन्देह करे, परन्तु इस से हमारे ऊपर के परिणाम को कुछ भी बाधा नही आती । जैन धर्म हिन्दू धर्म से प्राचीन है। कुछ विद्वानों का मत है कि जैनधर्म हिन्दूधर्म की शाखा है और उसके आदि प्रवर्तक पार्श्वनाथ ( ८७७-७७७ ईसा से पूर्व ) हैं । यह कल्पना भी वैसी ही निर्मूल है । मिध्दान्तों की समानता के कारण जिस प्रकार लैमेन, बार्थ, वेबर इत्यादी विद्वानोंने जैन धर्म को बौद्ध धर्म की शाखा मान लिया था उसी प्रकार भूलर और जेकोबी की भी मान्यता है कि जैन धर्म हिन्दू धर्म की शाखा है; किन्तु केवल सिद्धान्तो
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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