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________________ के माध्यम से राम और सीता की वन्दना की है। उन्हें भारतीय संस्कृति के उन्नायक और प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया है। राम आदर्श राजा हैं और सीता आदर्श नारी ! इसी पुस्तक में प्राचार्य तुलसी ने सती सीता के प्रति अपने मनोभावों को इस प्रकार प्रस्तुत किया (पृष्ठ १६६) । ओम जय सीता माता, तेरे बिना न कोई जगदम्वे । त्राता। ॐ जय सीता माता। इस सम्बन्ध में सातवें सर्ग में प्राचार्य तुलसी ने सीता को जगदम्बा मां, महासती, कूलकमला, अचला, सन्नारी आदि सम्बोधनों से अमिहित किया है । हमारा देश प्राचीन काल से ही धर्म प्रधान देश रहा है। यहां भक्ति की धारायें सदा प्रवाहित रही हैं । इन धाराओं के साथ जिन महान विभूतियों के नाम अटूट रूप से जुड़े हुए हैं, उनमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम और महासती सीता के नाम अग्रणी हैं । भारतीय साहित्य और लोक जीवन में उनके अप्रतिम स्थान हैं । राम और सीता किसी एक परम्परा से प्रतीक नहीं है, अपितु उनकी सार्वभौम व्याकपता निविवाद है, इसलिए महर्षि वाल्मीकि ने श्री विमल सूरि, महाकवि स्वयम्मू, कविवर रविपेण, प्राचार्य जिनसेन, प्राचार्य हेमचन्द्र, महाकवि पन्नि, गोस्वामी तुलसीदास आदि अनेक विद्वानों ने अपने-अपने प्रकार से राम और सीता की गाथायें लिखी हैं।' प्राचार्य तुलसी ने सीता जी को 'महासती' के रूप में प्रस्तुत किया है और उनके शील तथा पवित्र चरित्र को आदर्श मान १-यशपाल जैन :अग्नि परीक्षा और विवाद-पृष्ठ १
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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