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________________ आर्य का अर्थ है सत्पुरुष । जिस भूभाग में दीक्षा, संयम, नियम, उपवास, त्याग और निष्ठा आदि हैं वह पूरा क्षेत्र पार्य क्षेत्र है। आर्यों को ही बाद में हिन्द कहने लगे।। रामायण एवं महाभारत की घटनायें प्रकारान्तर से ब्राह्मण एवं जैन दोनों ही परम्पराओं में प्राय: एक सी पाई जाती हैं और समान रूप से लोकप्रिय हैं । वस्तुतः दोनों धाराओं के कथानक एक दूसरे के पूरक हैं और नियमित इतिहास के प्रारंभ से पूर्व के अनुश्रुतिगम्यकाल के लिए ब्राह्मण परम्परा के वैदिक साहित्य रामायण एवं महाभारत काव्य तथा . पुराण ग्रंथ जितने उपयोगी हैं, उतने ही जैन पुराण साहित्य तथा धार्मिक अनुश्र तियां भी हैं। जैसा कि प्रो० जयचन्द्र विद्यालंकार का कथन है, भारत का प्राचीन इतिहास जितना वेदों को मान्य करने वाला है उतना ही वेद विरोधी जैनों का है। जैनों के प्राचीन तीर्थान्कर भी वैसे ही वास्तविक ऐतिहासिक पुरुष हैं जैसे कि वेदों के रचियेता हैं । श्रपिगण तथा ब्राह्मण परम्परा के अन्य प्राचीन महापुरुष । वस्तुतः जैन पुराण कथानकों के उस काल संबंधी चित्रण कहीं अधिक बुद्धिगम्य, युक्तियुक्त एवं वास्तविकता के निकट हैं । श्रमण संस्कृति भी शुद्ध भारतीय मानव संस्कृति है, जो वैदिक धर्म और ब्राह्मण संस्कृति के उदय के संभवतः कुछ पूर्व ही अस्तित्व में आ चुकी थी और विकसित हो चुकी थी । ब्राह्मण वैदिक संस्कृति के उदय के उपरान्त वह उसके साथ संघर्ष करती, समन्वय करती, आदान प्रदान करती तथा अपनी पृथक सत्ता भी बनाये रखती हुई फलती-फूलती और विकसित होती रही।' १-भारतीय इतिहास : एक दृप्टि-डा० ज्योतिप्रसाद जैनपृ० ३३
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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