SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४४ ) को प्रगट करने के हेतु श्री पंच परमेष्ठी, भगवान ऋषभदेव, भगवान पार्श्वनाथ और भगवान महावीर तथा श्री आचार्य. शान्तिसागर जी महाराज आदि के चित्र भो दिये गये हैं । काग़ज़ २८ पौंड, पृष्ठ संख्या क़रीब ३५०, मूल्य केवल एक रुपया । १४ - आर्यसमाज आगरा के ५० प्रश्नों का उत्तर लेखक - पं० अजितकुमार जो शास्त्री, मुलतान हैं। विषय नाम से प्रगट है | पृष्ठ संख्या ६४, मूल्य केवल = ) १५ - जैनधर्म सन्देश लेखक - पं० अजितकुमार जी शास्त्री, मुलतान । इसमें जैनधर्म के चारों अनुयोगों का प्रतिपादन गागर में सागर की भांति किया गया है । पृष्ठ संख्या ३२, मूल्य =) १६ - आर्य भ्रमोन्मूलन लेखक - पं० अजितकुमार जी शास्त्री, मुलतान । इस पुस्तक में शास्त्री जी ने समाज के जैन भ्रमोच्छेदन ट्रैक का करारा उत्तर दिया है। छपाई और काग़ज़ बढ़िया, फिर भी मूल्य -) १७- लोकमान्य तिलक का जैनधर्म पर व्याख्यान 1. यह पुस्तक बड़ी उपयोगी है और अजैन विद्वानों में बाँटने योग्य है, अभी द्वितीयावृत्ति हुई है । मूल्य ) | १८ - शस्त्रार्थ पानीपत भाग १ यह शास्त्रार्थ जैनसमाज पानीपत और आर्य्यसमाज पानीपतसे लिखित हुआ है। इसका विषय "क्या ईश्वर सृष्टि कर्त्ता है ""
SR No.010232
Book TitleJain Dharm Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjit Kumar
PublisherBharatiya Digambar Jain Shastrartha Sangh Chhavani
Publication Year1934
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy