SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २५ ) ३- सामायिक प्रतिमा । प्रति दिन प्रातः काल शाम को और दोपहर को तीनों समय निवम से निर्दोष सामायिक करना सामायिक प्रतिमा है । व्रत प्रतिमा वाला सामायिक नियम से तीन वार और निर्दोष नहीं करता है । उसको सामायिक शिक्षा व्रत के रूप में हैं, तीसरी प्रतिमा वाला नियम से तीन वार निर्दोष सामायिक करेगा । यही इन दोनों में अन्तर है । ४ --- प्रोषध प्रतिमा । प्रत्येक अष्टमी, चतुर्दशी को घर, व्यापार आदि के कार्यों को छोड़ कर नियम से १६ पहर का निर्दोष प्रोषध उपवास (यानी पहिले और तीसरे दिन एक बार तथा उस अष्टमी चतुर्दशी के एक दिन सर्वथा भोजन का त्याग करना सो चौथी प्रोषध प्रतिमा है । व्रत प्रतिमा में प्रोषधोपवास नियम १६ पहर का नहीं किया जाता । कम समय का भी किया जाता है, सदोष भी होता है । शिक्षा व्रत रूप में है । वह बात यहाँ नहीं है । ५- सचित त्याग प्रतिमा । फल, फूल, शाक आदि बनस्पति ( सब्जी) सचित ( जीव सहित यानी हरी) नहीं खाना सूखी खाना ( सूखे मेवा आदि ) तथा पानी आदि भी सचित (कच्चा) न पीकर पका हुआ (आग पर औटा हुआ) पीना सचित त्याग प्रतिमा का आचरण है।
SR No.010232
Book TitleJain Dharm Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjit Kumar
PublisherBharatiya Digambar Jain Shastrartha Sangh Chhavani
Publication Year1934
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy