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________________ ऊनोदरी तप पूछा गया है--समझदार की निशानी क्या ? कम बोलना, कम खाना। मूर्य की निशानी क्या? ज्यादा बोलना ज्यादा खाना । कम बोलना--- विद्वान का गुण है, और मूर्य का भूषण है । लुकमान हकीम ने अपने पुत्रों से कहा था कि तुम यदि समझदार हो, तो कम बोलनाइससे तुम्हारी समझदारी और अधिक चमकेगी। यदि तुम मूसं हो, तब भी कर बोलना-~इससे तुम्हारी मुख्ता छुपी रहेगी। एल प्रकार 'अल्पभाषण' जीवन में अनेक सद्गुणों को जन्म देता है, मनुष्य को सभ्य, विद्वान और चतुर बनाता है वहां 'वाणी का तपस्वी' भी ! शास्त्रकारों का मत है कि सिर्फ न बोलना ही मौन नहीं, किन्तु कम बोलना, विवेनापूर्वक बोलना भी मोन का एक अंग है । इस मौनमत को साधना भरा भाषण की साधना से प्रारम्भ की जा सकती है । पहले काम बोलने की आदत डालो, फिर मौन रहने की। अल्प कलह मानह, सगा, वैर- पिप आदि को कमी करना--यह भी भाव मनोदरी का एक भेद है । शास्त्र में बताया है फतहकरो असमाहियरे जो पाला करता है, यह संप में, समाज में, परिवार और शक्तिमत जीवन में भी भगोति पैदा करता है । कलह पारने वाले को नमी गति और प्रसन्नता प्राप्त नहीं हो सकती । ऋगन में कहा है-न धान रनिंग । याला मारने माना जीपन में गुर, समलिननीय गौभाग्य प्राप्त की कारमा करने पाने का मन भीतर में शनिपटी मालि HTTER: मोविले मिगी। गनमत नही होगी तो . २ ७३२१
SR No.010231
Book TitleJain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni, Shreechand Surana
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1972
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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