SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०७ तप (मोक्षमार्ग) का पलिमंयु : निदान भिलापा के वश होकर निदान करने वाले साधक की अन्तर आत्मा को कभी शान्ति नहीं मिलती, वह भीतर ही भीतर व्याकुल एवं वैचैन रहती है । जब अपने ही समान अपने से कम तप करने वालों को अधिक ऋद्धिशाली, प्रभावशाली व अपने ऊपर शासन करते देखता है तो वह निदान की असारता से दुःखी भी होता है, और उस चिंता व आर्तध्यान आदि के कारण मन बेचैन बना रहता है। निदान तीव्र कर्म बंधन का भी कारण है । सम्यक्त्व का भी घातक है । इस कारण इसे शल्य कहा है । निदान करने वाला पछताता है निशीथ भाष्य में निदान करके तप करने वाले एक यक्ष की कहानी आती है। चंपानगरी में अनंगसेन नामका एक स्वर्णकार रहता था । वह अत्यंत कामुक व भोगासक्त था । उसके पास धन की कमी नहीं थी । जहां कहीं भी किसी सुन्दर कन्या को देखता धन के द्वारा उसे खरीद लेता । इस प्रकार पांच सौ कन्याओं के साथ उसने विवाह किया । फिर भी भोगों में अतृप्त ही रहा । एक बार हासा - प्रहासा नामकी दो यक्षिणियों ने अनंगसेन को देखा, उनका यक्ष उनसे पहले ही काल कर गया था, इसलिए वे विरह में भटकती हुई अनंगसेन के पास आई । अनंगसेन को अपने रूप-लावण्य हाव-भाव के द्वारा आकृष्ट किया । अनंगसेन उनके सौन्दर्य व काम चेप्टा से उन्मत्त हो हाथ फैलाकर उनकी ओर दौड़ा । तव यक्षिणिय बोली - "हमें चाहते हो तो पंचशैल द्वीप में आओ ।" बस इतना सा कहकर दोनों अदृश्य हो गई । अनंगसेन तो उनके पीछे पागल होगया । उसने घोषणा करवाई "जो कोई व्यक्ति मुझे पंचशैल द्वीप पहुंचा देगा, उसे एक करोड़ स्वर्ण मुद्रा दूंगा । एक बुड्ढे नाई ने घोषणा स्वीकार की । उसने एक करोड़ स्वर्ण मुद्रा लेक घर में रखी और अनंगसेन को नौका में बिठाकर पंचशैल द्वीप को ओ चला । बहुत दूर चलने के बाद नाई ने पूछा - कुछ दिखाई दे रहा है ? अनंगसेन बोला- "बहुत दूर, जल की धारा के बीच एक मनुष्य खोपड़ी के वरावर लाल गोला दिखाई दे रहा है ।"
SR No.010231
Book TitleJain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni, Shreechand Surana
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year1972
Total Pages656
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy