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________________ २८. युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी (अणुव्रत-अनुशास्ता) जैन धर्म को जनधर्म का व्यापक रूप देकर उसकी गरीयसी गरिमा को प्रतिष्ठित करने में जहनिश प्रयत्नशील, आगम अनुसधान के महत्त्वपूर्ण कार्य मे प्रवृत्त, साधना, शिक्षा और शोध की सगमस्थली, जैन विश्व भारती के अध्यात्मपक्ष को उन्नयन करने मे दत्तचित्त, अणुव्रत आन्दोलन के माध्यम से नैतिक मदाकिनी को प्रवाहित कर वैयक्तिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय चारित्न को मुदृढ बनाने की दिशा मे जागरुक, मानवता के मसीहा, युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी का नाम प्रभावक आचार्यों की श्रेणी मे सहज ही उभर आता है। ___महापुरुप का जन्म सर्वसामान्य मनुज की तरह किसी एक परिवार में ही होता हे और सीमित रेखाओं के बीच में वे पलते है, पर समस्त विश्व के साथ सहानुभूति, पर व स्व का वोध, द्वैत मे अद्वैत भाव, आत्मौपम्य भावना की प्रवल प्रेरणा, परोपकार-परायण की प्रवृत्ति, औदार्य-कारुण्य आदि गुणो का विकास उन्हे उच्चता के सिंहासन पर आस्ढ करता है। ___ अणुव्रत अनुशास्ता के नाम से प्रख्यात युगपुरुष, सन्तश्रेष्ठ, आचार्य श्री तुलसी का जन्म वी० नि० २४४१ (वि० स० १९७१) कार्तिक शुक्ला द्वितीया को राजस्थानान्तर्गत लाडनू शहर के खटेड वश मे हुआ। पिताश्री का नाम झूमरमल जी व माता का नाम वदना जी था। बालक तुलसी के वाल्यकाल का प्रथम दशक मा की ममता, परिवार का अमित स्नेह एव धार्मिक वातावरण मे बीता। जीवन के दूसरे दशक के प्रारम्भ मे पूर्ण वैराग्य के साथ जैन श्वेताम्बर तेरापथ संघ के अष्टमाचार्य श्री कालूगणी से ज्येष्ठ भगिनी लाडाजी सहवी० नि २४५२ (वि० स० १९८२) मे दीक्षित हुए । ज्येष्ठ वन्धु चम्पालाल जी उनसे पूर्व दीक्षित थे। सयम साधना का पथ स्वीकार कर लेने के पश्चात् उनकी चिंतनात्मक एव मननात्मक शक्ति का स्रोत पठन-पाठन मे केन्द्रित हुआ। व्याकरण, कोष, सिद्धान्त, काव्य, दर्शन, न्याय आदि विविध विषयो का उन्होने गभीर अध्ययन किया। वे सस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, राजस्थानी भाषा मे नैपुण्य प्राप्त प्रौढ विद्वान बने। दुरावगाह ग्रन्थो की पारायणता के साथ लगभग बीस हजार श्लोको को कठस्थ कर लेना उनकी शीघ्रग्राही स्मृति का परिचायक है।
SR No.010228
Book TitleJain Dharm ke Prabhavak Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanghmitrashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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