SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 401
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५. करुणा स्त्रोत आचार्य कृपाचन्द्र आचार्य कृपाचन्द सूरि खरतरगच्छ के प्रभावक आचार्य थे । उनका जन्म वी० नि० २३८३ (वि० १९१३) मे हुआ । यतियो से पास उन्होने दीक्षा ग्रहण की। वे आगमज्ञ थे और व्याकरणशान्त्र तथा न्यायशास्त्र पर भी उनका अच्छा after था । यति से वे मुनि बने । वी० नि० २४४२ (वि० १९७२) को बम्बई मे उन्हें आचार्य पद प्राप्त हुआ था । मारवाड, गुजरात, काठियावाड और मालव मे विहरण कर जैन शासन के उपवन को उन्होंने अपनी सदुपदेश धारा से सीचा । कई पाठशालाओ और पुस्तकालयो की स्थापना भी उनकी प्रेरणा से हुई । आज भी खरतरगच्छ मे करुणास्रोत आचार्य कृपाचन्द्र सूरि का नाम गौरव से स्मरण किया जाता है ।
SR No.010228
Book TitleJain Dharm ke Prabhavak Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanghmitrashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy