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________________ (उन्नीस) ३२८ ३३० ३३५ ३३७ ३३६ ३४१ ३४२ ३४३ ३४७ ३४८ ३४६ ४३ चैत्य-पुरुप आचार्य जिनचन्द्र (मणिधारी) ४४ कवि-किरीट आचार्य रामचन्द्र ४५ उदारहृदय आचार्य उदयप्रभ । ४६ प्रतिभा-प्रभाकर आचार्य रत्नप्रभ ४७ तप के मूर्त रूप आचार्य जगच्चन्द्र ४८ बौद्धिक-रत्न आचार्य रत्नाकर ४६ तत्त्व-निष्णात आचार्य देवेन्द्र ५०. शब्द-शिल्पी आचार्य सोमप्रभ ५१ मति-मार्तण्ड आचार्य मल्लिपेण ५२ जन-जन हितैषी आचार्य जिनप्रभ ५३ कुशल शासक आचार्य जिनकुशल ५४ महामेधावी आचार्य मेरुतुग ५५ गुण-निधान आचार्य गुणरत्न अध्याय तीन नवीन युग १ वाचोयुक्ति-पटु आचार्य हीरविजय २-३ वाद-कुशल आचार्य विजयसेन और विजयदेव ४ जिनधर्म प्रभावक आचार्य जिनचन्द्र ५ क्षमा-मुदिर आचार्य ऋपिलव ६ धर्मध्वज आचार्य धर्मसिंहजी ७ दृढप्रतिज्ञ आचार्य धर्मदासजी ८ प्रवल-प्रचारक आचार्य रघुनाथ ६ इन्द्रिय-जयी आचार्य जयमल्ल १० मगल प्रभात आचार्य भिक्षु ११ प्रज्ञा-प्रदीप आचार्य जय १२ विद्या-विभाकर आचार्य विजयानन्द १३ अज्ञान-तिमिरनाशक आचार्य अमोलक ऋषि १४ चिन्मय चिराग आचार्य विजय राजेन्द्र १५ करुणा-स्रोत आचार्य कृपाचन्द्र १६ शास्त्र-विशारद आचार्य विजयधर्म १७ विशद विचारक आचार्य विजयवल्लभ १८ योग-साधक आचार्य बुद्धिसागर १६ समता-सागर आचार्य सागरानन्द २० कमनीय कलाकार आचार्य कालूगणी २१ प्रवचन-प्रवीण आचार्य जवाहर ३५५ ३५६ ३६० ३६२ mmm ३६६ ३७१ ३७४ ३७६ ३७६ ३८० ३८१ m-m U KUW mm ३८७
SR No.010228
Book TitleJain Dharm ke Prabhavak Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanghmitrashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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