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________________ १०६ १११ ११४ ११६ १२५ १२६ १३७ १५४ (सत्रह) ६ सयम-सूर्य आचार्य सम्भूतविजय ७ जिनशासन-शिरोमणि आचार्य भद्रवाहु ८ तेजोमय नक्षत आचार्य स्थूलभद्र ६ सद्गुण-रत्न-महोदधि आचार्य महागिरि १० सद्धर्म-धुरीण आचार्य सुहस्ती ११-१२ विश्ववन्धु आचार्य वलिस्सह और गुणसुन्दर १३-१४ स्वाध्याय-प्रिय आचार्य सुस्थित और सुप्रतिबुद्ध १५-१६ सत-श्रेष्ठ आचार्य श्याम और पाडिल्य १७-१६ मोक्ष-वीथि-पथिक आचार्य समुद्र, मगू, भद्रगुप्त २० क्रान्ति चरण आचार्य कालक (द्वितीय) २१ महाविद्या-सिद्ध आचार्य खपुट २२ पारस-पुरुष आचार्य पादलिप्त २३ विलक्षण वाग्मी आचार्य वज्र स्वामी २४ कीति-निकुज आचार्य कुन्द-कुन्द २५ अक्षयकोष आचार्य मार्य-रक्षित २६ ध्यान योगी भाचार्य दुर्वलिका पुष्यमित्र २७ विवेक-दर्पण आचार्य वज्रसेन २८ आलोक-कुटीर आचार्य अर्हद्वलि २६. दूरदर्शी आचार्य धरसेन ३० लन्धगौरव आचार्य गुणधर ३१-३२ प्रबुद्धचेता आचार्य पुष्पदन्त एव भूतबलि ३३ अर्हन्नीति-उन्नायक आचार्य उमास्वाति ३४-३५ आगमपिटक आचार्य स्कन्दिल और नागार्जुन ३६ प्राज्ञप्रवर आचार्य विमल ३७ जैन सस्कृति-सरक्षक आचार्य देवद्धिगणी क्षमाश्रमण अध्याय दो : उत्कर्ष युग १ बोधिवृक्ष आचार्य वृद्धवादी २ सरस्वती-कठाभरण आचार्य सिद्धसेन ३ महाप्राज्ञ आचार्य मल्लवादी ४ सस्कृत-सरोज सरोवर आचार्य समन्तभद्र ५ दिव्य विभूति आचार्य देवनन्दी (पूज्यपाद) ६ भवाब्धिपोत आचार्य भद्रबाहु द्वितीय (नियुक्तिकार) ७ परमागमपारीण आचार्य जिनभद्रगणी क्षमाश्रमण ८ पुण्यश्लोक आचार्य पात्रस्वामी १५७ १६६ १७१ १७४ १७५ १७७ १७८ १८० १८३ १८७ १८६ १६५ १६८ २०८ २१२ २१७ २२० २२४ २२७
SR No.010228
Book TitleJain Dharm ke Prabhavak Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanghmitrashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1979
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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