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________________ १६२ जैन धर्म का प्राचीन इतिहास-भाग २ चंद्रसेन यह पंच स्तूपान्वय के विद्वान मुनि थे । यह वीरसेन के दादा गुरु और आर्यनन्दि के गुरु थे । इनका समय ईसा की ८वीं शताब्दी का उत्तरार्ध है। प्रार्यनंदि यह पंच स्तुपान्वय के विद्वान थे और वीरसेन के दीक्षा गुरु थे। और चन्द्रसेन के शिष्य थे ।१ इनका समय भी ईसा की ८वीं शताब्दी होना चाहिए। एलाचाय एलाचार्य किस अन्वय या गण-गच्छ के विद्वान आचार्य थे, यह कुछ ज्ञात नहीं होता। सिद्धान्त शास्त्रों के विशेष ज्ञाता विद्वान थे, और महान तपस्वी थे । और चित्रकूटपुर (चित्तौड़) के निवासी थे। इन्हीं से वीरसेन ने सकल सिद्धान्त ग्रन्थों का अध्ययन किया था। इसी कारण एलाचार्य वीरसेन के विद्या गुरु थे। वीरसेन ने इनसे षट् खण्डा गम और कसायपाहुड का परिज्ञान कर धवला और जय धवला टीकाओं का निर्माण किया। वीरसेनाचार्य ने धवला टीका प्रशस्ति में एलाचार्य का निम्न शब्दों में उल्लेख किया है : जस्स पसाएण मए सिद्धत मिदं हि अहिलहदं। महुसो एलाइरियो पसियउ वर वीरसेणस्स ॥१॥ वीरसेनाचार्य ने अपनी धवलाटीका शक सं० ७३८ सन् ८११ में बनाकर समाप्त की। अतः इन एलाचार्य का समय सन् ७७५ से ८०० के मध्य होना चाहिए। कुमारनन्दी ये अपने समय के विशिष्ट विद्वान थे। आचार्य विद्यानन्द ने प्रमाण परीक्षा में इनका उल्लेख किया है। तत्त्वार्थ श्लोक वार्तिक पृ० २८० में कुमारनन्दि के वादन्याय का उल्लेख किया है : __ कुमारनन्दिनश्चाहुदिन्याय विचक्षणाः । पत्र परीक्षा के पृष्ठ ३ में-'कुमारनन्दिभट्टारके रपिस्ववादन्याये निगदितत्त्वात्" लिखकर निम्न कारि काएं उद्धृत की हैं "प्रतिपाद्यानुरोधेन प्रयोगेषु पुनर्यथा। प्रतिज्ञा प्रोच्यते तज्ज्ञ : तथोदाहरणादिकम् ॥१ न चैवं साधनस्यक लक्षणत्वं विरुध्यते । हेतुलक्षणतापायादन्यांशस्य तथोदितम् ॥२ १. अज्जज्जणंदि सिम्सेरणज्जुब-कम्मस्स चंदमेणम्स। तह णत्तुर्वण पंचत्युहण्यं भाणुणा मुणिणा॥ -धवला प्रशस्ति २. काले गते कित्यपि ततः पुनश्चित्रकूटपुरवासी। श्रीमानेलाचार्या बभूब सिद्धान्ततत्वज्ञः ॥ १७७ तस्य समीपे सकलं सिद्धान्तमधीत्य वीरसेनगुरुः । उपरितम निबन्धनाद्यधिकारानष्ट च लिलेख ॥१७८ -इन्द्रनन्दि श्रुतावता
SR No.010227
Book TitleJain Dharm ka Prachin Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherRameshchandra Jain Motarwale Delhi
Publication Year
Total Pages591
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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