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________________ हो जाती हैं यह बदस्तूर समाज में बनो रहेमो . जिस हिन्दू जाति का आज तेजी से हास हो रहा है उसका सौमाग्य सूर्य शीघ्र ही उदय हो जायेगा . भला हो, समाज सुधार के कटर पक्षपाती, सुप्रसिद्ध समाज सुधारक शिरोमणि स्व• ईश्वर चन्द्र विद्यासागर को प्रात्मा का कि जो बडो मुस्तैदी के साथ भारत सरकार से विधवा विवाह का कानून (एक्ट नं० १५ सं० १८५६ ई० ) म जूर करा गये है। विधवा विवाह के विरोध में, विधवा से विवाह करने वाले पुरुष को, अपना पुनर्विवाह करने वालो विधवा को तथा इस शुभ कार्य में सहायक होने वालों को कोई जातीय दण्ड नहीं दिया जा सकता। बल्कि जो पंच या मुखिया विधवा विवाह के विरोध में ऐसे लोगों को जाति बाहर कर देते हैं व गज से दण्ड कं भागो बनते हैं। मेरठ । में एक विधवा विवाह के समय ब्राह्मण जातिके पटेल चौधरियों ने एक पंचायत करकं लगभग डेढ़ संपादमियांको एकत्रित किया और पुनर्विवाह करने वाली विधवा पुत्री के पिता पं० राधेलाल और उनके सहायक पं० घासीराम को जाति वाहर करके उनका जातोय व्यवहार बंद कर दिया। दोना बहिणत पंडिता ने स्पेशल मजिस्टर, मेरठ को अदालत में बिगदरी के पटेल चौधरिया के खिलाफ दफा ५०० हाजी रात हिन्द (Feet3011500, Indian penal codle) के अनुसार अलग २ मुक़दमे दायर कर दिये । लेकिन बहुन विचार के बाद स्पेशल मजिस्टेट साहब ने ता० ३ सितम्बर २०१६१८ को दोनों मुकद्दमा में फरियादियों को बिरादरी के एक मुखिया पर ३००) और दूसरे दोना मुखियामां पर २००) २००) रुपया जुरमाने का हुक्म दिया । जुरमाना अदा न करने की हालत में एक हजरत को चार महोने को भऔर दूसरों को तीन २ मास की कैद का आदेश किया। अपराधियों ने स्पेशल मजिस्टेट के इस फैसले से रुष्ट होकर
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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