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________________ ( १७१ ) बीसवाँ प्रश्न यहाँ यह पूछा गया है कि ये विश्वाएँ न होती तो संख्यावृद्धि होती या नहीं। बहन जातियों में विधवाविवाह होता है और मन्नान भी पैदा होती है इमलिय संग्ख्यावृद्धि को बान तो निश्चित है। जहाँ विधवाविवाह नहीं होता वहाँ भ्रणहत्या आदि में तथा दम्मा विनैकया श्रादि कहलाने वाली सन्तान पैदा होने में विधवाश्री के जननीत्व का पता लगता है। विद्यानन्द जी का यह कहना निरर्थक प्रलाप है कि अगर वे बन्ध्या होती ना ? बन्ध्या हानी तो मन्तान न बढ़नी मिर्फ ब्रह्मचर्याणुव्रत का पालन होना । परन्त जैनममाज की मब विधवा बन्ध्या है इसका कोई प्रमाण नहीं है बल्कि उनके प्रबन्ध्यापन के बहुत R प्रमाण है। श्रीलाल का यह कांग भ्रम है कि विधवाविवाह वाली जातियों की संख्या घट रही है। कोई भी श्रादमी-जिसके आँखें है-विधवाविवाह और सन्तानवृद्धि की कार्यकारणव्याप्ति का विरोध नहीं कर माता । गंग म, भूना मर कर या अन्य किमी कारण से कहीं की मृत्युमंख्या अगर यह जाय तो इम में विधवाविवाह का कोई अपराध नहीं है। उमम ती यथासाध्य संख्या की पनि ही होगी। परन्तु बलाद्वैधव्य में तो संन्या हानि ही होगी । विधवाविवाह में व्यभिचारनिवत्ति नहीं होती, इसका खगडन हम पहिले कई बार कर चुके हैं। मुष्टि की चर्चा के लिये अलग प्रश्न है। वहीं विचार किया जायगा । आक्षेप (क)-माना बहिन आदि में मांग करने में भो सन्तान हो सकती है । ( श्रीलाल) समाधान-जिम दिन माताओं और बहिनी को पुत्र
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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