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________________ ( १३५ ) करते हो ?" श्रादि । इन सब बातों का उत्तर पहिले अच्छी तरह दिया जा चुका है । अब बारबार उत्तर देने की ज़रूरत नहीं है । हाँ, श्रवदो आक्षेप रह जाते है जिनका उत्तर देना है । इनमें अन्य आक्षेपों का भी समावेश हो जाता है । आक्ष ेप (क) - प्रत्येक मनुष्य में तो शराब के त्यागने की शक्ति का प्रगट होना भी अनिवार्य नही है तब क्या शराब पी लेना चाहिये ? समाधान - विधवाविवाह की जैसी और जितनी उपयोगिता है वैसी यदि शराब की भी हो तो पी लेना चाहिये । ( १ ) विधवाविवाह परस्त्रीसेवन या परपुरुषसेवन से बचाता है । इसलिये अणुवन का साधक है । क्या शराब अणुवन का साधक है ? ( २ ) विधवाविवाह से भ्र राहत्या रुकती है । क्या शराब से भ्रूण या कोई हत्या रुकती है ? ( ३ ) जेनशास्त्रों में जैसे विधवाविवाह का निषेध नहीं पाया जाता, क्या वैसा शराब का निषेध नहीं पाया जाता ? (५) पुरुषसमाज अपना पुनर्विवाह करती है और स्त्रियों को नहीं करने देना चाहती। क्या इसी तरह पुरुष समाज शराब पीती है और क्या स्त्रियों को नहीं पीने देना चाहती ? ( 4 ) जिस विधवा के सन्तान न हो और उसे सन्तान की आवश्यकता हो तो उसे विधवाविवाह अनिवार्य है । क्या इसी तरह शराब भी किसी ऐसे कार्य के लिये अनिवार्य है ? ( ६ ) किसी को वैधव्य जीवन में आर्थिक कष्ट है, इसलिये विधवाविवाह करना चाहती हैं, क्या शराब भी आर्थिक कष्ट को दूर कर सकती है ?
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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