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________________ अजीव तत्व-पुद्गल द्रव्य / 89 प्रवाहित हो जाती है। यह सब पुद्गल के सूक्ष्म परिणमन क्षमता के उदाहरण हैं। अपने इसी सूक्ष्म परिणमन क्षमता के कारण एक प्रदेश में ही अनेक परमाणु अवगाहित हो जाते हैं।' स्कंधों के भेद स्कंधों की स्थूलता और सूक्ष्मता की अपेक्षा इनके छह भेद किये गये हैं 1. स्थूल-स्थूल : जो पदार्थ छिन्न-भिन्न करने पर अपने आप नहीं जुड़ सकते हों तथा जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है। जैसे-पत्थर, लकड़ी,धातु आदि ठोस पदार्थ (Solid Things)। 2. स्थूल : जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है किंतु छिन्न-भिन्न करने पर जो स्वयं जुड़ जाते हैं। जैसे दूध, पानी, तेल आदि तरल पदार्थ । (Liquid Things) 3. स्थूल-सूक्ष्म : जो नेत्रंद्रिय के द्वारा देखी जा सकें किंतु पकड़ में न आ सके, जैसे छाया, प्रकाश आदि । चूंकि ये दिखते हैं इसीलिए स्थूल हैं तथा पकड़ में न आने के कारण इन्हें सूक्ष्म कहते हैं । (Solid Fine Things) 4. सूक्ष्म-स्थूल : जो आंखों से तो नहीं दिखते हों किंतु शेषेन्द्रियों के द्वारा जो अनुभव किये जाते हैं । जैसे—हवा, गंध, रस शब्द आदि । (Fine Solid Things) 5. सूक्ष्म : जो किसी भी इन्द्रिय का विषय न बने। जैसे कार्मण-स्कंध/चुंबकीय विद्युत् किरणों को भी इसमें गर्भित कर सकते हैं । (Fine Matter) 6. सूक्ष्म-सूक्ष्म : अत्यंत सूक्ष्म द्वयणुक स्कंध को सूक्ष्म-सूक्ष्म स्कंध कहते हैं। यह स्कंधों की अंतिम इकाई है। (Very Fine Matter) ये छहों भेद स्कंधों की स्थूलता और सूक्ष्मता की तरतमता की अपेक्षा किए गए हैं। जिनका दो बार उल्लेख है वे उसके उत्कृष्टता के प्रतीक है तथा मध्यम अंश दर्शाने के लिये 1 परमाणुओं का समासीकरण-पदार्थ की सूक्ष्म परिणति के सबध में वैज्ञानिकों की पहुच इस पराकाष्ठा तक तो नही हुई है किंतु आये दिन ऐसे निविड़/सघन पदार्थों का पता चल रहा है, जो परमाणुओं की सूक्ष्म परिणति के विषय मे जैन दार्शनिकों द्वारा कही गई बातों की पुष्टि करते हैं । साधारणत: इस पृथ्वी पर सोना, पारा, शीशा व प्लेटीनम भारी पदार्थ माने जाते हैं । एक इस्क्वायर इच काट के टुकड़े में और उतने ही बड़े लोहे के टुकड़े में भार का कितना अतर है, यह स्पष्ट है। इसका एकमात्र कारण परमाणुओं की निविड़ता सघनता है । जितने आकाश खड को काष्ट के थोड़े से परमाणुओं ने घेर लिया उतने ही आकाश खण्ड में अधिकाधिक परमाणु एकत्रित होकर खनिज पदार्थ के रूप में रह जाते हैं । इस आकाश में ऐसे भी ग्रह पिण्ड देखे गए हैं जो प्लेटीनम से दो हजार गुना सघन है । ऐसे ग्रह पिण्डो की सघनता का वर्णन एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक इन शब्दों में करते हैं' "इन आकाशीय पिण्डों में से कुछ एक में पदार्थ इतनी सघनता से भरा है कि एक क्यूबिक इच टुकड़े में 27 मन वजन होता है। सबसे छोटा तारा जो अभी हाल में खोजा गया है उसके एक क्यूबिक इच में 16740 मन वजन होता है। 'क्या कभी कोई कल्पना भी कर सकता है कि एक क्यूबिक इच टुकड़े को उठाने में बड़े से बड़े क्रेन भी असफल रह जायेंगे? क्या कोई कल्पना कर सकता है कि एक छोटा-सा देला ऊपर से गिरकर बड़े से बड़े भवन को भी तोड़ सकता है? कहा जाता है ज्येष्ठा नक्षत्र इतना भारी है कि अगूठी के एक नग जितने टुकड़े में आठ मन वजन होता है। -जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान 2. प. का 76
SR No.010222
Book TitleJain Dharm aur Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramansagar
PublisherShiksha Bharti
Publication Year
Total Pages300
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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