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________________ जैन धर्म बाधक तत्त्वो का अपना मौलिक प्रतिपादन है । जैनधर्म इन्ही तत्वों के आधार पर जीव के उत्थान, पतन, सुख, दुख और जन्म - मृत्यु आदि की समस्याएँ हुन करता है । इन तत्त्वो का सक्षिप्त परिचय इस प्रकार है । १ जीव - जीव के सम्बन्ध में पहले कहा जा चुका है । जीव कहिए था ग्रात्मा, स्वभाव से अमूर्त होने पर भी कर्मबन्ध के कारण मूर्त-सा हो रहा है । प्रत्येक संसारी जीव कर्म से प्रभावित है । कर्मवन् ग्रात्मा को पराधीन और दुखी बनाता है । ग्रात्मा कर्म उपार्जन करने मे स्वतन्त्र, किन्तु भोगने में परतन्त्र है । आत्मा स्वय ही अपने उत्थान - पतन का निर्माता है । अपने भाग्य का विधाता है । वह न कूटस्थ नित्य है, और न एकान्त क्षणिक ही है, किन्तु अन्य द्रव्यो की भाति परिणामी नित्य है । ८४ २ अजीव -- जीव का वर्णन पहले आ गया है। कहा जा चुका है कि जीव कर्मवन्ध के कारण ही अपने वास्तविक स्वरूप से वचित है । कर्म एक प्रकार के पुद्गल है । देखना चाहिए कि जीव का कर्म पुद्गलों के साथ क्यो और कैसे सम्बन्ध होता है । R ३. पुण्य -- “ पुनाति, पवित्रीकरोत्यात्मानमिति पुण्यम् ।" "जो आत्मा को पवित्र करता है अथवा पवित्रता की घोर ले जाता है, वह पुण्य है ।" पुण्य एक प्रकार के शुभ पुद्गल है, जिनके फलस्वरूप श्रात्मा को लौकिक सुख प्राप्त होता है और प्राध्यात्मिक साधना मे सहायता प्राप्त होती है । धर्म की प्राप्ति सम्यक् श्रद्धा, सामर्थ्य, संयम और मनुष्यता का विकास भी पुण्य से ही होता है । तीर्थंकर नामकर्म भी पुण्य का फल है । पुण्य, मोक्षार्थियों की नौका के लिए अनुकूल घायु है, जो नौका को भवसागर से शीघ्रतम पार कर देती है | आरोग्य, सम्पत्ति यादि सुखद पदार्थो की प्राप्ति पुण्य कर्म के प्रभाव से ही होती है । ( आचार्य हेमचन्द्र ने कर्मो के लाघव को भी पुण्य माना है ) "पुण्यत. - कर्मलाघवलक्षणात् शुभकर्मोदयलक्षणाच्च ।" -- योगशास्त्र - प्र० ४, श्लो० १०७ । जिन प्रकारो से पुण्योपार्जन होता है, उन्हें नौ भागो मे विभक्त किया है - १. अप्पा कत्ता विकत्ता य, उत्तरा०, अ० २० गा० ३७ २. स्थानांग, अभयदेव टीका, प्रथम स्थान २. नवपुणे, ठाणांग, ठाणा ९
SR No.010221
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilmuni
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages273
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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