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________________ ११२] जैन दर्शन में आचार मीमांसा लिए अप्रमाद-वीर्य या अक्रम-वीर्य का विधान है। यह अकर्मण्यता नहीं किन्तु कर्म का शोघन है । कर्म का शोधन करते-करते कर्म-मुक्त हो जाना, यही है श्रमप-परम्परा के अनुसार नुक्ति का क्रम । वैदिक परम्परा को भी यह अमान्य नहीं है । यदि उसे यह अमान्य होता तो वे वैदिक ऋपि वानप्रस्थ और संन्यासआश्रन को क्यों अपनाते। इन दोनों में गृहस्थ-जीवन सम्बन्धी कमां की विमुखता बढ़ती है । गृहस्थाश्रन से साध्य की साधना पूर्ण होती प्रतीत नही हुई, इसीलिए अगले दो आश्रमो की उपादेयता लगी और उन्हें अपनाया गया। जिसे बाहरी चिह्न बदल कर अपने चारों ओर अस्वाभाविक वातावरण उत्पन्न करना कहा जाता है, वह सबके लिए सनान है । श्रनण और संन्यासी दोनों ने ऐसा किया है । ब्रह्मचर्य की सुरक्षा के नियमों को कृत्रिमता का वाना पहनाया जाए तो इस कृत्रिमता से कोई भी परम्परा नहीं बची है। जिस किसी भी परम्परा में संसार-त्याग को अादर्श नाना है, उसमें संसार से दूर रहने की भी शिक्षा दी है। नुत्ति का अर्थ ही संसार से विरक्ति है। संसार का मतलव गॉत्र या अरण्य नहीं, गृहस्थ और संन्यासी का वेप नहीं, स्त्री और पुरुष नहीं । संसार का मतलब है-जन्न-नरण की परम्परा और उसका कारण । वह है-मोह । मोह का स्रोत ऊपर भी है, नीचे भी है और सामने भी है-"उ8 सोया, अहे जोया, तिरयं तोय" (पाचारांग)। नोह-रहित व्यक्ति गांव में भी साधना कर सकता है और अरण्य में भी । श्रनण-परन्धरा कोरे वेष-परिवर्तन को कब नहत्त्व देती है। भगवान् ने कहा"वह पास भी नहीं है, दूर भी नहीं है भोगी भी नहीं है, त्यागी भी नही है 1 भोग छोड़ा त्रासक्ति नही छोड़ी-वह न भोगी है न त्यागी। भोगी इसलिए नहीं कि वह भोग नहीं भोगता । त्यागी इसलिए नहीं कि वह भोग की वासना त्यारा नहीं सका। पराधीन होकर भोग का त्याग करने वाला त्यागी या श्रनप नहीं है। त्यागी या श्रमण वह है जो स्वाधीन भावना पूर्वक स्वाधीन भोग से दूर रहता हैं | यही है श्रमण का श्रामण्य । . आश्रन-व्यवस्था श्रौत नहीं है, किन्तु स्मार्त है। लोकमान्य तिलक के अनुसार-कर्म कर' और 'कर्म छोई वेद की ऐसी जो दो प्रकार की आज्ञाएं
SR No.010216
Book TitleJain Darshan me Achar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Shastri
PublisherMannalal Surana Memorial Trust Kolkatta
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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