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________________ ३५७ समवशरण, प्रतिहारदेव, देवताओं द्वारा पुष्पवृष्टि, अमामण्डल, चौदह अतिशय, विविध देव-देवियां, द्वारपाल आदि का भी अंकन होता है। धातुप्रतिमायें: पत्थर के अतिरिक्त धातुओं की मूर्तियां भी बनने लगीं। प्रिन्स माल बेल्स में संग्रहीत पार्श्वनाथ की धातु मूर्ति मौर्य कालीन मानी जाती है। चौसा से प्राप्त आदिनाथ की मूर्ति भी लगभग इसी प्रकार की है जो पटना संग्रहालय में सुरक्षित है। सवस्त्र जिन प्रतिमायें भी उपलब्ध हुई हैं । वसन्तगढ (सिरोही) से प्राप्त खड्गासन मूति में धोती का अंकन स्पष्ट दिखता है। बलभी से भी इसी प्रकार की कुछ मूर्तियां मिली हैं। रोहतक (पंजाब) में पाषाण की खड्गासन मूर्ति प्राप्त हुई है जिसपर धोती का प्रदर्शन है । जीवन्त स्वामी की प्रतिमायें तो सवस्त्र अवस्था में ही मिलती है। अकोटा (बडोदा) से इस प्रकार की दो धानु प्रतिमायें मिली हैं। इनका समय लगभग छठी शती है। गुप्तकालीन अलंकरण शैली का प्रभाव यहाँ स्पष्ट दिखाई देती है। उत्तरकाल में भी मेहसाना आदि स्थानों पर धातु की मूर्तियाँ मिलती हैं ।' नागपुर म्युझियम में भी धातुकी कुछ सपरिकर जिन प्रतिमायें संग्रहीत है। २. स्थापत्य कला स्थापत्यकला अथवा वास्तुकला के अन्तर्गत स्तूप, गुफा, चैत्य व बिहार तथा मन्दिरों की निर्माण कला आती है। उसमें मानव सभ्यता का विकास छिपा हुआ है । जैन कला में भी प्रारम्भ से ही इसका उपयोग हुआ है। यहां हम क्रमशः संक्षेप में इनका वर्णन कर रहे है। १. मथुरा स्तूप मथुरा लगभग ई. पू. द्वितीय शताब्दी तक जैनधर्म का एक बड़ा केन्द्र बत गया था। वहाँ १८८८ और १८९१ ई. के बीच हारिज, कनिंघम, फ्यूसर आदि विद्वानों ने ई. पू. द्वितीय शती से लेकर ग्यारहवीं शती तक की मनेक शिल्पाकृतियां कंकाली टीले से प्राप्त की। यह एक पुराना जैन मन्दिर था जिसने नष्ट होने के बाद टीले का रूप धारण कर लिया। उस पर एक और स्तंभ खड़ाकर जनता उसे कंकाली देवी के नाम से पूजने लगी। इस स्तूप का व्यास १४.३३ मीटर बताया जाता है। यह ढोलाकार शिखरवाला है और अण्डाकार है। इतका क्या रूप रहा होगा, यह आयागपट्टों के देखने से स्पष्ट हो जाता है । यही १. शाह, यु. पी. स्टडीज इन न मार्ट, पृ.९, १२.
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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