SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 377
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३५३ बैठकर उन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त किया, उनका भी उल्लेख हुआ है। प्रत्येक तीर्थंकर के अनुचर के रूप में यक्ष और यक्षिणियों का भी निश्चय हुआ। उनके नाम इस प्रकार हैं तीर्थंकर १. ऋषभनाथ बैल २. अजितनाथ गज ३. संभवनाथ अश्व ४. अभिनंदन- बंदर नाथ चिन्ह' ५. सुमतिनाथ चकवा ६. पद्मप्रभ कमल ७. ८. चन्द्रप्रभ ९. पुष्पदन्त मकर १०. शीतलनाथ स्वस्तिक ११. सुपार्श्वनाथ नंद्यावर्त अर्धचन्द्र चैत्यवृक्ष' न्यग्रोध सप्तपर्ण शाल सरल प्रियंगु प्रियंगु शिरीष नागवृक्ष अक्ष (बहेड़ा) धूलि ( श्वे. श्रीवत्स ) ( मालिवृक्ष) गेंडा पलाश यक्ष गोवदन महायक्ष त्रिमुख यक्षेश्वर तुम्बुरव मातंग विजय अजित ब्रह्म ब्रहेश्वर यक्षिणी" चक्रेश्वरी रोहिणी प्रज्ञप्ति वज्रश्रृंखला कुमार वज्रांकुशा अप्रतिचक्रेश्वरी पुरुषदत्ता मनोवेगा काली ज्वालामालिनी श्रेयांसनाथ १. प्रतिष्ठातिलक, पृ. ३५३. कल्पसूत्र २. तिलोपपत्ति, ४. ६०४-६०५. कुछ मतभेद भी हैं । ३. वही ४.९१६ - ९१८ ४. वही, ४. ९३४ - ९४०. प्रतिष्ठासार संग्रह, अभिधान चिन्तामणि आदि ग्रन्थों में कुछ मतभेद है । विशेषतः मातंग (६) के स्थान पर पुष्प व सुमुख, विजय (७) के स्थान पर मातंग, अजित के स्थान पर श्याम या विजय, पाताल (१३) के स्थान पर चतुर्मुख, किन्नर (१४), कुबेर (१८), वरुण (१९), प्रकुटि (२०), गोमेध (२१), पार्श्व (२२), मातंग ( २३ ) और गुहधक (२४) के स्थान पर क्रमशः पाताल, यक्षेन्द्र, कुबेर, वरुण, भूकुटि, गोमेष, पार्श्व, और-मातंग म उल्लेख मिलता है । महाकाली ५. वही, ४. ९३४ - ९४९. अभिधान चिन्तामणि में २४ यक्षिणियों के नाम इस प्रकार मिलते हैं - चक्रेश्वरी, अजितबला, दुरितारि, कालिका, महाकाली, श्यामा, शान्ता, मृकुटि, सुतारका, अशोका, मानवी, चण्डा, विदिता, अंकुशा, कन्दर्पा, निर्वाणी, बला, धारिणी, घरणप्रिया, नरवत्त, गांधारी, अम्बिका, पद्मावती, और सिद्धायिका । इनके आयुध आदि के विषय में देखिये, जैन प्रतिमा विज्ञान; सातवां अध्याय,
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy