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________________ २६० इससे उसकी चितवृत्ति शान्त हो जाती है। ये ग्यारह प्रतिमायें नैष्ठिक श्रावक के आध्यात्मिक विकास को अवस्थायें हैं-दर्शन, व्रत, सामायिक, प्रोषध, सचित्तत्याग, रात्रिभुक्ति त्याग, ब्रह्मचर्य, आरम्भत्याग, परिग्रहत्याग, अनुमतित्याग और उद्दिष्टत्याग। इस वर्गीकरण का मूल आधार शिक्षावत रहा है। आचार्य कुन्दकुन्द ने सल्लेखना को शिक्षावतों में सम्मिलित किया। वसुनन्दि ने उनका अनुकरण कर सल्लेखना को तृतीय प्रतिमा के रूप में भी स्वीकार किया पर उमास्वामी, समन्तभद्र आदि आचार्यों ने सल्लेखना को मारणान्तिक कर्तव्यों में रखा। कुन्दकुन्द, कार्तिकेय, समन्तभद्र, आदि आचार्यों ने छठी प्रतिमा का नाम रात्रिभवितत्याग रखा। पर उत्तरकाल में उसके विवेचन में कुछ अन्तर हो गया। उपासकदशांग (१-६८) के टीकाकारों ने प्रतिमाओं के नाम इस प्रकार दिये हैं-दर्शन, व्रत, सामायिक, प्रोषध, कायोत्सर्ग, ब्रह्मचर्य, सचित्ताहार त्याग, आरम्भत्याग, परिग्रहत्याग (भूतकप्रेष्यारम्भ वर्जन), उहिष्टभुक्तित्याग, और श्रमणभूत'। इन प्रतिमाओं में कार्योत्सर्ग और श्रमणभूत प्रतिमायें नवीन हैं। हम यहाँ सल्लेखना को मारणान्तिक कर्म मानकर सर्वमान्य प्रतिमाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं१. वर्शन प्रतिमाः दार्शनिक श्रावक वह है जो सम्यग्दर्शन से शुद्ध हो, संसार, शरीर और भोगों से मुक्त हो, अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और सर्वसाधु इन पञ्च परमेष्ठियों का उपासक हो तथा सत्यमार्ग का अनुयायी हो सम्यग्दर्शनशुढः संसार-शरीरभोगनिर्विण्णः। पञ्चगुरूचरणशरणो दार्शनिकस्तावपथगृहयः ।।' यहाँ दार्शनिक श्रावक होने की सबसे आवश्यक शर्त यह है कि वह सम्यकत्वी हो। सम्यकत्वी होने के लिए उसे वीतरागी आप्तदेव, आगम और जीव, अजीव, आश्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष इन सप्त तत्त्वों पर आस्था होना अपेक्षित है। ऐसा सम्यकत्वी दार्शनिक श्रावक संसार की अनश्वरता और आत्मशक्ति पर विचार करते-करते शंका, कांक्षा, विचिकित्सा, मूढदृष्टित्व, १. सानारधर्मामृत, ३.१. २. सांवत के छडे उद्देश में भी स्यारह प्रतिमानों का वर्णन मिलता है पर कुछ मित्र रूप में. ३. रलकरममावकाचार, १३७.
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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