SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . . . . SEX उगम है। कतिपय विद्वानों ने हडप्पा संमति की कुछ मूर्तियों में जन प्रणाम किये है तो कुछ विद्वानों के अनुसार इन्वेद में बाब जैन तीरानीवन नामोल्लेख आया है। ऋग्वेद में पति वातरान मुनि उनके अनुसार जब मुनियों से भिन्न है। दुर्भाग्यवश इस विषय में उपलब्ध साम्य अत्यन्त की व्याच्या अन्य विद्वानों ने भिन्न प्रकार से की है। उपक अमानों के माचार ॥हा कहा जा सकता हकजन धमइसापूर आठवीं शताब्दी में, जब तेईसवें तीर पावनाब हुए, अवश्य ही मस्तित्व में था। यद्यपि जैन परम्परा के अनुसार भगवान पानाव के पूर्व सास और तीर्थकर हो चुके थे, तथापि उनकी ऐतिहासिकता का कोई न अभी तक नहीं मिल सका है। ... यबाप्रबनधमकाउदभवकासकाबपामाहाकार Ma कहना असम्भव है, तथापि इतना अवश्य नाश्वत प्रतातहात्यहा सातकाल समारत मधासक..क्षत्रमवामिनन्तन-मारप्रमा जिन्हें हम.प्रवातमाग एव निवात्त.मामला पाकासापायामध्यमानामत रूपामभातमागका बनकर EMA S Mof IRRIA
SR No.010214
Book TitleJain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherNagpur Vidyapith
Publication Year1977
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy