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________________ . उपयुक्त उदाहरण से उन लोगो को मालूम होना चाहिए जो अहिसावादियो पर यह दोषारोपण करते है कि वे बुज़दिल और कायर होते है और युद्ध करने से घबराते है या कतराते है । युद्ध मुनि के लिए ता वजित हो सकता है परन्तु गृहस्थ के लिए कदापि नही । नीति की रक्षा क लिए एक सर्व हितकारो उद्देश्य की प्रतिष्ठा के लिए तथा कर्तव्य परायणता के रूप में युद्ध की अनिवार्यता का सच्चे अहिसक ने कभी टाला नहीं । ससार आभ्यतारक शत्र प्रो से पीड़ित है । जो योद्धा अंदर के दुर्जेय शत्रु आ (काम, क्रोध, मान, माया, लोभ) पर विजय प्राप्त करने के लिए उद्यत है, भला वह बाहरो राजाओ से क्यो डरेगा, उनसे युद्ध करने से क्या घबराएगा ? मगधपति बिम्बसार और सम्राट कुणिक इतिहास प्रसिद्ध मगधपति बिम्बसार जैन साहित्य मे 'श्रेणिक' के नाम से प्रसिद्ध है । राजा श्रेणिक का भगवान् महावीर के साथ वार्तालाप अत्यत राचक तथा शिक्षाप्रद है। श्रोणिक के पुत्र सम्राट कुणिक भा भगवान महावीर के परम भक्त थे। कुणिक के पुत्र 'उदयन' ने भी जैन धर्म की ही शरण ली थी। काशी कौशल काशी कौशल के अट्ठारह लिछवी और मल्ली राजाओ ने भगवान् महावीर का निर्वाण महात्सव मनाया था। इससे प्रतीत होता है कि यह सब राजा जैन धर्म से प्रभावित थे। मौर्य सम्राट् और उनकी सेवाएं मौर्य शासको से पूर्व मगधदेश का "नद राजवश' प्रधान था।
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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