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________________ अध्याय भगवान महावीर- अद्वितीय क्रांतिकारी महापुरुष भगवान महावीर की क्रांति अहिसामूलक थी। अतः वह सर्वतोमुखी कल्याणकारी थी। आध्यात्मिकता, दर्शन-शास्त्र, समाज व्यवस्था और भाषा के क्षेत्र मे उनकी देन बहुमूल्य है । उन्होने तत्कालीन तापसो की तपस्या के बाह्यरूप के बदले बाह्याभ्यंतर रूप प्रदान किया । तप के स्वरूप को व्यापकता प्रदान की। पारस्परिक खण्डन मण्डन में निरत दार्शनिको को 'अनेकान्तवाद' का महामत्र दिया। ___सद्गुणो की अवहेलना करने वाले जन्मगत 'जातिवाद' पर कठोर प्रहार कर गुण-कर्म के आधार पर जाति व्यवस्था का प्रतिपादन किया। मनुष्य मनुष्य के बीच समानता कायम की और भेद भाव की दीवारो को गिरा दिया। किसी समय स्त्रियो को भोग की सामग्री माना जाता था। उनका यथोचित सम्मान न था। भगवान् महावीर ने उन्हें समानता का दर्जा प्रदान किया। स्त्री को दीक्षित होने की अनुमति प्रदान कर उनके साध्वी संघ कायम किये। यज्ञो में होने वाली पशु-हिसा को बन्द कराया और कहा कि 'प्राध्यात्मिक यज्ञ करो और उनमें अपनी इच्छाप्रो की बलि दो।' जन-जन की प्रचलित भाषा लोक भाषा को अपने उपदेश का माध्यम बनाकर आत्मदर्शन रूपी सन्मार्ग का द्वार बिना भेदभाव के
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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