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________________ १५७ इन्डिया' (अहमदाबाद, 1949) में 265 चित्र प्रस्तुत किये है | उपर्युक्त महान् अन्वेषको ने जैन चित्रकला का अति महत्वपूर्ण आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है । कागज पर चित्रकला कागज का आविष्कार चीन देश से ईo 105 में हुआ माना जाता है । 10वी — 11वी शती में उसका निर्माण अरब देशों में होने लगा और वहाँ से भारत मे आया । ( 1 ) जैसलमेर के जैन भण्डार से 'ध्वन्यालोक लोचन' को उस प्रति का अन्तिम पत्र मिला है जो जिनचन्द्र सूरि के लिये लिखी गई थी, जिसका लेखन काल 1660 ई0 के लगभग है । ( 2 ) ' कारन्जा जैन भण्डार' से उपासकाचार (रत्नकरण्डश्रावकाचार ) की प्रभाचन्द्र कृत टीका सहित कागज की प्रति का लेखन-काल सo 1415 ( सन् 1358) है | किन्तु कागज की सबसे प्राचीन चित्रित प्रति ई० सन् 1427 में लिखित वह ' कल्पसूत्र है जो लन्दन की इन्डिया आफिस लायब्रोरी में सुरक्षित है । इसमें 31 चित्र है और उसी के कालकाचार्य कथा में अन्य 13 चित्र । इस ग्रन्थ के ( pages) चाँदी की स्याही से काली व लाल पृष्ठभूमि पर लिखे गये है । इस प्रति के हाशियो पर शोभा के लिये हाथियों व हन्सो की पक्तिया, फूल पत्तिया अथवा कमल आदि बने हुए है । साथ जुड़ी हुई समस्त 113 पत्र ( 3 ) लक्ष्मण गणी कृत 'सुपासरगाह चरित्र' की एक सचित्र प्रति पाटन के श्री हेम चन्द्राचार्य जैन भन्डार में सo 1479 ( ईo 1422 मे प० भावचन्द्र के शिष्य हरिनन्द मुनि द्वारा लिखित है । इसमें कुल 37 चित्र है जिनमे से 6 पूरे पत्रो में व शेष पत्रों के अर्द्ध व तृतीय
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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