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________________ १२३ अन्य पंथ--मध्यमवृत्ति सिदहेम शन्दानुशासन की टीका रहस्यवृत्ति , महंन्नामसमुच्चय मामेयनेमि द्विसंधान काम्य न्याय बलाबल सूत्र बलावलसूत्र-बृहवृत्ति बाल भाषा व्याकरण सूत्र वृत्ति (v) रामचन्द्र यह हेमचद्राचार्य के पट्टशिष्य थे । सस्कृत नाट्यशास्त्र के महान लेखक थे। यह एक प्रोढ कवि भी थे । इन्होने लगभग 100 अथ लिखे जिनमें से 47 इस समय मुद्रित हो चुके है। इनके रचित नाटकों के नाम निम्नलिखित हैं 1 नल विलास 2 सत्य हरिशचन्द्र 3 निर्मय भीम 4 कौमुदी मित्रानद अपने शिष्य गुणचद्र के सहयोग से इन्होंने नाट्यदर्पण नाम का मुख्य नाट्य शास्त्र लिखा। कवितावलि तथा स्तोत्रों में मुख्य निम्न हैं1 युगादिदेव द्वात्रिशका 2 प्रसाद द्वात्रिका 3 मादिदेव स्तव 4 नेमिस्तव सिदहमशब्दानुशासन पर लिखित इनका माष्य व्याकरण बंथो में अमूल्य निधि है। (vi) जिनप्रभ सूरि चतुर्दशी शताब्दी ई० में जिनप्रम सूरि एक विरख्यातनामा विद्वान् हुए । इन्होने संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रश में अनेक भोलिक ग्रंथ और भाष्य लिखे। इनकी एक प्रति उपयोगी और आकर्षक कृति तो कल्प या विविध तीर्थ कल्प है जो जैन तीर्थस्थानों को एक बृहद्सूची है जिसमें तीर्थ का ब्यौरा, नाम संस्थापक, नाम राजा जिसने इसकी
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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