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अवसर बरते एहवो । घोड़ा किसड़ाक दोड़े जो ध० / ॥ ३ ॥ राय प्रदेशी चिन्तवे । मान्यो बचन अनुपोजी राजा ने बहुलौ हुवे । घोड़ा हाथी नौ चूमोजी ॥ ध० ॥ ४ ॥ रथ रे घोड़ा जोतरा। चढियो प्रदेशौ रायो जौ ॥ चित बैठो खड़वा भणी । घणा जोजन ले जायो जौ ॥ ध० ॥ ५ ॥ आहमा रहामा दोड़िया। हुई छायां तणी उमेदोजी ॥ राय प्रदेशौ इम कहै । चिता पामु छु खदो जौ ॥ ३० ॥ ६ ॥ प्रदेशी कयां थकां । चित अवसर रो जाणोजी ॥ गैरौ छायां बागरौ । रथ उभो राख्यो आगोजी ॥ ध० ॥ ७ ॥ धर्म कथा केसी कहै। मोटे मोटे सादोजौ॥ रोय प्रदेशौ देख में। मन मान्यो विषवादोजी ॥ ध० ॥ ८॥ कुण बक्र जड मुढ ए। जड मुढ करै सेवाजी ॥ पंडित नहीं अजाणा छ काढणा लागो कवाजी ॥ ३० ॥६॥ धर्म करो दो घणो । मुख आगे छै घाटोजो ॥ सुएहने रोजगार छै। मोडो ऊंचो बैठो पाटोजी ॥ ३० ॥ १० ॥ अणख करी राजा घणौ । धर्म तणो नहीं रागोजी। इण मोडे म्हारो आय में । रोक्यो सगलो बागोनी ॥ ध० ॥ ११ ॥ हूं उठ बैठ सक नहौं । मन में इसड़ी आइजी ॥ जितनी हिरदा में अपनी। चित में सर्व सुणाईजी ॥ ३० ॥ १२॥ चिता कुण, जड मूढ ए ।