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________________ २ दोय ध्यान किण में पावे ? सातवें गुणस्थान में पावे-धर्म, शुक्ल । ३ तीन ध्यान किण में पावे ? श्रावक में पावे (शुक्ल टला )। ४ चार ध्यान किणा में पावे ? समचै जीव में । २० बीसवें बोले ६ द्रव्य री ३० बोल । १ एक द्रव्य अलोक में पावे-आकाशास्तिकाय । ६ छव द्रव्य लोक में पावे। २१ इकबीसवें बोले रास दोय ---- १ एक रास किण में पावे ? जीव मे पाव-१ जीव रास। २ दोह रास किण में पावे ? लोक में पावे। २२ वाईसवें बोले श्रावकग १२ ब्रत-ते श्रावक में पावे। २३ तेईसवें बोले साधुजी ना पांच महाव्रत-साधु में - पावे। २४ चौबीसवें बोले भांगा ४६-~-श्रावक में पाये । २५ पच्चीसवे बोले चारित्र पांच ५---- १ एक चारित्र किण में पावे ? केवलयां में पाव-यथाख्यात । २ दोय चारित्र किण में पावे ? पुलाकनियंठा
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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