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________________ ( १४४ ) नहीं, संबर, निर्डग, मोच, ए तीन साहूकार छै ५ नव पदर्थ में छांडवा जोग कितना चादरखा जोग कितना । जीव, जीव, पन्य, पाप, आाखव, बंध, ए कब तो कांड़वा जोग के, संवर, निर्जग, मोक्ष ए तीन चादरवा जोग है अने जाणवा जोग नवहीँ पदार्थ है । ६ नव पदार्थ में रूपी कितना रुपी कितनां । जीव, चव, संबर, निर्जरा, मोक्ष ए, पांच तो अरूपी हैः चजीव रूपी अरूपौ दोनू छे पुन्य, पाप, बंध रूपी है । ७ नव पदार्थ से एक कितनां अनेक कितना । उ० अजीव टाली आठ पदार्थ तो अनेक है, अने अजीव एक अनेक दोनू' है, किन्याय धर्मास्ति धर्मास्ति श्राकाशास्ति ये तीन द्रव्य थको एक एक हो द्रव्य है ॥ लडी २६ छवीसमी ॥ १ छव द्रव्य में जीव कितना चञ्जीव कितना एक
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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