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________________ ( १२८ ) चोखा परिणामां साहूकार छै मांठा परिणामां चोर के। २ अजीव चोरके साहूकार दोनं नहीं किणन्याय चोर साइकार तो जीव हुवे ये अजीव छै। ३ पुन्य चोरके साहूकार, दोनू नहीं अजीव है। ४ पोप चोरके साइजार, दोन नहीं अजीव छै। ५ श्राखब चोरके साइलार, दोन छै किणन्याय च्यार प्रास्त्रव तो चोर है, अने अशुभ जोग पण चोर छै शुभ जोग साहूकार छै। ६ संबर चोरके साहूकार, साइकार है किणन्याय कर्स रोकवारा परिणाम साहूकार है। ७ निर्जरा चोरके साइकार, साइकारकै किणन्याय ___ कर्म तोड़वारा परिणाम साहूकार छ । ८ बंध चोरके साइकार, दोन नहीं अजीव छ ! है मोक्ष बोरके साहूकार साहूकार किगन्याय कर्म कायकर सिद्ध थया ते साहूकार है। लडी छटी जीव छांडवा जोगके . आदरवा जोगकी। १ जीव छांडवा जोगके बादरवा जोग छांडवा जोग छै किगन्याय पोते जीवन भोजन करे अनेरा
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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