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________________ जैन मालगुटका प्रथम माग अथ कल जैन धर्म के शब्दों का मतलब। अब हम चालकों को कुछ जैन धर्म के शब्दों का मतलब समझाते ह क्योंकि भनेक जैनो ऐसे हैं, अपने धर्म में हररोज बोलने में आने वाले जो अनेक शब्द न तो उन का मतलब वह आप समझते हैं और यदि कोई अन्य मती उन से उन का मतलब (अर्थ) पूछे न उस को बता सकते हैं इस लिये हम बच्चों को यहां समझाते हैं, कि हे वालको यदि तुमसे कोई यह पूछे कि तम कौन हो तो तुम भनवाल, पल्लीवाल, खंडेलवाल, वाकलीवाल, लमेचू, हुमड़ सोनी आदि अपनी जाति या गांव का नाम मत लो, सिरफ को जैनी॥ जैनी किसको कहते हैं। ... जो जैन धर्म को पाले (माने) जैन धर्म किस को कहते हैं। '. जिन का उपदेशा जो धर्म वह जन धर्म कहलाता है। .. जिन किस को कहते हैं। . जो कर्म शत्रु को जीते। . .. श्रावगी औरजैनी में क्या फरक है। - एक ही बात है चाहे श्रावक कहो चाहे जैनी । श्रावक शब्द का क्या मतलब। सर्व का शाता सर्व का जानने वाला जो सर्वश उसके मानने वाला उसके धर्म में प्रवर्त करने वाला सोश्रावक कहलाता है। ___. . . जैनियों में कितने फिरके (थोक) हैं। .. जैनियों में बड़े थोकदो हैं एक दिगाम्बरी दूसरे श्वेताम्बरी।' :...: श्वेताम्बरी किन को कहते है। . .. । श्वेत नाम है सुफेद का, अन्वर नाम है कपड़े का, लो सुफेद कपड़े वाले इस का अर्थ है अर्थात् उन के साधु श्वेत वस्त्र रखते हैं, सुरन, पेला, वगैरा रंगदार नहीं रखते उन श्वताम्बर साधुवों के मानने वाले श्वेताम्बरी कहलाते हैं। दिगम्वरी किनको कहते हैं। . . इस के दो अर्थ है भनेक जैनी तो इस का अर्थ इस प्रकार करते हैं कि दिन
SR No.010200
Book TitleJain Bal Gutka Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Jaini
PublisherGyanchand Jaini
Publication Year1911
Total Pages107
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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