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________________ ४० नवलपुरका प्रथम भाग । गोच कर्म की २ प्रकृति । १ उच्च गोत्र २ नीच गोत्र । वेदनीय के २ भेद | १ सातावेदनीय २ असातावेदनीय। अथ नाम कर्म की ३ प्रकृति । पिंड प्रकृति ६५, अपिंड प्रकृति २८ । अथ पिंड प्रकृति के ६५ भेद ४ गति ५ जाति ५ शरीर ३ अंगोपांग ५ बंधन ५ संघात 7 ६ संहनन ६ संस्थान ५ वर्ण २ गंध ५ रस ८ स्पर्श ४ आनु पूर्वी २ स्थान ॥ नोट- यह १४ प्रकारके बड़े भेद हैं। छोटे भेद ६५ हैं ॥ ४ गति । नरकगति, तियंचगति, मनुष्यगति, देव गति । ५ जाति । एकेन्द्रिय, वेंद्रिय, तेंद्रिय, चतुरेंद्रिय, पंचेंद्रिय । ५ शरीर । f औदरिक, वैक्रियक, आहारक, तैजस, कार्म्मण । ३ अंगोपांग । 1 १ औदरिक, २ वैक्रियक, ३ आहारक ॥ २ - ५ बंधन । औदरिक, वैक्रियक, आहारक, तेजस, काम्मैण ॥
SR No.010200
Book TitleJain Bal Gutka Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Jaini
PublisherGyanchand Jaini
Publication Year1911
Total Pages107
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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