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________________ जैनवालगुटका प्रथम भाग | ८- चन्द्रप्रभके अर्धचन्द्र का चिन्ह | पहिला भव वैजयंत नामा दूसरा अनुत्तर विमान जन्मनगरी चन्द्र पुरी पिता का नाम महासेन माताका नाम लक्ष्मणादेवी काय ऊंची १५०धनुप,रंग श्वेत (सुफेद)मायु १० लाख पूर्व दीक्षावृक्ष नाग गणधर ९३ निर्माण आसन खड्गासन निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर, अंतर इनसे ९० कोटि सागर गए पीछे पुष्पदन्त भए ॥ .९ - पुष्पदन्त के नाकू (संसार) का चिन्ह | २१ पहिला भव भपराजित नामा चौथा अनुत्तर विमान जन्म नगरी काकन्दी पिता का नाम सुत्रोव माताका नाम जयरामादेवी काय ऊंची १०० धनुष रंग श्वेत (सफ़ेद) आयु २ लाख पूर्व दीक्षा वृक्ष शाल, गणधर ८८ निर्वाण आसन खड्गासन निर्माण स्थान सम्मेदशिखर, अंतर इन से ९ कोटि सागर गए पीछे शीतलनाथ नए ॥ १० - शीतलनाथ के कल्पवृक्ष का चिन्ह | पहिला भव आरण नामा१५वां स्वर्ग जन्मनगरी भद्रकापुरी पिता का नाम दृढरथमाताका नाम सुनन्दादेवी काय ऊंची ९०धनुष, रंग स्वर्णसमान पीला आयु एक लाख पूर्व दोक्षा वृक्ष प्लक्ष (पिलखन) गणधर ८१ निर्वाण आसन खड्गासन निर्वाणेस्थान सम्मेद शिखर अंतर इनसे १०० सागर घाटकोटि सागरगए पीछे श्रयांसनाथ भए । ११- श्रेयांसनाथ के गैंडे का चिन्ह | पहिला भव पुष्पोत्तर विमान जन्म नगेरी सिंहपुरी पिताका नाम विष्णु माताका नाम विष्णुश्री काय ऊंची ८० धनुष, रंग स्वर्ण समान पीला, आयु ८४ लाख वर्ष दीक्षा वृक्ष तिंदुक गणधर ७७ निर्वाण आसन खड्गा सन निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर, अन्तर इनसे५४लाग र गए पीछे वासुपूज्य भए ।
SR No.010200
Book TitleJain Bal Gutka Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Jaini
PublisherGyanchand Jaini
Publication Year1911
Total Pages107
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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