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________________ जनबालगुटका प्रथम भाग। अथ २४ तीर्थंकरों के २४ चिन्हों के २४चित्र। १-ऋषभदेव के बैल का चिन्ह। . ___ पहिला भव सर्वार्थसिद्धि जन्म नगरी अयोध्या पिता नाभिराजा, मातामरुदेवो, काय ऊंची५०० धनुषा रंग स्वर्ण समान पीला आयु ८४ लाखपूर्व दीक्षा वृक्ष बट ( बड़ के नीचे दीक्षा ली ) गणधर ८४ निर्वाण आसन पद्मासन निर्वाणस्थान फैलाश यह तीसरे कालमें उत्पन्न भए और तीसरे में ही मोक्ष गए जब यह मोक्ष गए इनसे ३ वर्षसाढे आठ महीने बाद चौथा काल प्रारम्म हुआ । अंतर इनसे५ लाख कोटि सागर गएपीछेअजितनाथभए॥ २-अजितनाथ के हाथी का चिन्ह । पहिला भव वैजयन्त नामा दूसरा अनुत्तर विमान जन्म नगरी अयोध्या पिता का नाम जितशत्रुमाता का नाम विजयसेनादेवी काय ऊंची४५० धनुष रंगस्वर्ण समान पीला आयु ७२ लाख पूर्व दीक्षा वृक्ष सप्तछद (सितौना) निर्वाणभासन खड़गासन निर्वाणस्थान सम्मेदशिखर,अंतरानसे ३० लाख कोटि सागर गए पीछे संभवनाथ भए । . .३-संभवनाथ के घोड़े का चिन्ह । - पहिला भव ग्रैवेयक जन्मनगरीश्रावस्ती पिताका नाम जितारि माता का नामसुषेणा देवी काय ऊंची४००५नुष रंग रचर्ण समान पीला आयु ६० लाख पूर्व दीक्षावृक्ष शाल गणधर १०५ निर्वाण मारून खड्गासन निर्वाण स्थान सम्मेदशिखर, भन्तर इनसे १०लाख कोटि सागरगए पीछे अभिनन्दन नाथ भए॥ ANNER RN Hit SHATREAN Ran
SR No.010200
Book TitleJain Bal Gutka Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Jaini
PublisherGyanchand Jaini
Publication Year1911
Total Pages107
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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