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________________ आचार्य चरितावली १४५ (१) पूज्य श्री हरजी ऋपि (सं० १७००) (२) पूज्य श्री गोदाजी महाराज (३) , फरमुरामजी (४) , लोकमलजी , ,, मागारामजी (६) , दौलतरामजी , ___, लालचन्दजी (८) , हुक्मीचन्दजी जिनके नाम से सम्प्रदाय चलती है । (६) , शिवलालजी , (१०) , उदयसागरजी , (११) ., चौथमलजी , (१२) , श्रीलालजी (१३) , जवाहरलालजी , (१४) , गणेशीलालजी , (जो श्रमण संघ के उपाचार्य थे।) अव संघ से पृथक उनके पट्ट पर पूज्य नानालालजी महाराज विद्यमान है। शाखा (ब) की प्राचार्य परम्परा (१२) पूज्य श्रीलालजी महाराज (१३) , मन्नालालजी , (१४) , खूवचन्दजी ,, (१५) , छगनलालजी महाराज । वर्तमान में स्थविर किस्तूरचन्द जी महाराज विद्यमान है। - पंचम धर्मोद्धारक श्री धर्मदासजी महाराज आपका जन्म अहमदावाद के पास सरखेज मे हुआ था। उस समय वहाँ पर भावसार जाति के ७०० घर थे जो लोकागच्छ को मानने वाले थे। उन सव मे जीवदास कालीदास प्रमुख थे। उनको डाही वाई नामक सुशीला पत्नो से सवत् १७०१ मे आपका जन्म हुआ।
SR No.010198
Book TitleJain Acharya Charitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Gajsingh Rathod
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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