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________________ ६७ जयशंकर 'प्रसाद' प्रारम्भ होकर सम्राट हर्ष तक पाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से 'आर्य-स्वर्णयुग' का आभास 'जन्मेजय का नागयज्ञ' से होने लगता है। 'अजात शत्र' में साम्राज्य-विस्तार के प्रयत्न के रूप में यह स्पष्ट होता हुआ दीखता है। 'चन्द्रप्त ' में समस्त भारत में मगध के आर्य साम्राज्य का विस्तार हो जाता है। पराजय स्वीकार कर सेल्यूकस को अपनी पुत्री का विवाह भारतीय सम्राट् चन्द्रगुप्त से करना पड़ता है। 'ध्र वस्वामिनी' में विदेशी हूणों के नेता का वध करके रामगुप्त-जैसे क्लोब को मार्ग से हटाकर चन्द्रगुप्त सम्राट् बनता है और 'स्कन्दगुप्त' में भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों का नाश करके गुप्त-साम्राज्य को सुरक्षित और सबल बना दिया जाता हैगुप्त साम्राज्य का उद्धार विदेशी आततायियों के हाथों से कर लिया जाता है। बौद्धकाल (अजातशत्र ) मौर्य-काल ( चन्द्रगुप्त) गुप्तकाल (ध्रुव स्वामिनी' और 'स्कन्दगप्त' ) वर्धनकाल ( 'राज्य-श्री' ) सभी प्रसाद जी के नाटकों में आ जाते हैं। ___प्रसाद के नाटकों के नायक इतिहास के विश्व-विख्यात पुरुष हैं। 'जन्मेजय का नागयज्ञ' का नायक जन्मेजय महाभारत-काल के बाद भारत का शासक बना। यह परीक्षित का सबसे बड़ा पुत्र था-श्रतसेन, उग्रसेन, भामसेन तीन इसके छोटे भाई थे। इसने नागजाति से भयंकर युद्ध किया और नागों को नष्ट करके सुदृढ़ श्रार्य-राज्य की स्थापना की। यह नाटक शुद्ध ऐतिहासिक होते हुए भी पौराणिक भी गिना जा सकता है। ___ 'अजातशत्र' से 'ध्र वस्वामिनी' तक सभी नाटक शुद्ध ऐतिहासिक हैं। उनके प्रसिद्ध पात्र इतिहास की गोद में प्रकाश-स्तम्भ के समान खड़े हैं। 'अजात शत्र' का बिंबसार* शिशुनाग वंशीय सम्राट् था । वह बुद्ध के __ *अजातशत्रु के पिता बिम्बसार और चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिन्दुसार को एक मानकर डॉक्टर सोमनाथ गुप्त ने अपनी ऐतिहासिक ना समझो का आश्चर्यजनक परिचय दिया है । चन्द्रगुप्त मौर्य को गौतम बुद्ध का समकालीन बताकर तो और भी कमाल कर दिया । उन्होंने इतिहास की मरम्मत यहीं तक नही कीअशोक और अजातशत्रु को एक ही व्यक्ति बना डाला ! 'हिन्दी नाटकसाहित्य का इतिहास' में पृष्ठ १६४ पर आप लिखते है, "बिम्बसार (बिन्दुसार) इन्हीं सम्राट् चन्द्रगुप्त का पुत्र था, जो उनके पश्चात् मगध का सम्राट् बना । गौतम बुद्ध के समकालीन इन सम्राट के समय में, जिस षड्यन्त्र की योजनाएं हो रही थीं,.. .. "उसी ऐतिहासिक सामग्री को अजातशत्र का आधार
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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