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________________ हिन्दी के नाटककार के श्रादर्श नमूने हैं। विष्कम्भक में, प्रारम्भ में ही, शुक-नारद-सम्बाद में चन्द्रावली के प्रेम की चर्चा; पर बाद में इनका नाटक में ही पता नहीं। इसी प्रकार तीसरे अङ्क में तालाब के किनारे माधवी, चन्द्रकान्ता, विलासिनी, वल्लभा, कामिनी आदि कहाँ से आ टपकीं। न पहले और न बाद में ही इनका पता चला । यह दृश्य भी बहुत भद्दा और लम्बा है-स्थान की दृष्टि से । विष्कम्भक का विषय प्रस्तावना में होना चाहिए था। प्रस्तावना में भारतेन्दु अपना ही गुण-गान करने में लगे रहे। प्रस्तावना में सूत्रधार कहता है। “यह देखो मेरा प्यारा छोटा भाई शुकदेव बनकर रंगशाला में आता है।" यह हास्यास्पद है। 'प्रेम जोगिनी' में तो नाटकीयता है ही नहीं। पात्र तक बे-सिलसिले हैं। हर गर्भाङ्क में नये पात्र आ धमकते हैं। पिछलों का पता नहीं चलता। कथोपकथन की दृष्टि से 'नीलदेवी' दोष-मुक्त है, शेष सभी नाटक सदोष हैं। 'चन्द्रावली' में दूसरे अङ्क में चन्द्रावली का चार पृष्ठ का स्वगत, तीसरे अङ्क में चन्द्रावली का चार पृष्ठ का और चौथे में ललिता का तीन पृष्ठ का जमना-वर्णन-स्वगत-भद्द दोष ही माने जायंगे । इसी प्रकार 'सत्य हरिश्चन्द्र' में हरिश्चन्द्र द्वारा गंगा-वर्णन । 'चन्द्रावली' का अन्त कृष्ण-मिलन में हो जाना चाहिए था, दो-तीन पृष्ठ और बढ़ाकर नाटक को और भी सदोष कर दिया गया। हरिश्चन्द्र की भाषा रसपूर्ण और अवसरोपयोगी है। भाषा में नाटकीय सशक्तता भी है और प्रवाह भी । विषय के अनुसार भी वह अपना कटु-मधु रूप धारण करती है। प्रेम के प्रसंग में भाषा मधुर, भावुकता-भरी, सरल और रस-डूबी होती है और वीरता प्रदर्शक स्थल पर चुस्त और गतिशील । पात्रों के अनुरूप भी वह अपना चोला बदलती है। 'नील देवी' में भाषा का स्वच्छ, सुन्दर, शुद्ध और व्यापक स्वरूप मिलता है-मुसलमान पात्र उर्दू बोलते दिखाई देते हैं और हिन्दू-पात्र हिन्दी। ___"कुफफार सब दाखिले दोजख होंगे और पैगम्बर आखिरुल जमा सल्लल्लाह अल्ले हुसल्लम की दीन तमाम रुए जमीन पर फैल जायगा।" यह उर्दू का नमूना है। यह एक दोष भी हो सकता है। अभिनेयता नाटक का अभिनयोपयुक्त होना, उसके प्रचार तथा जीवन-विस्तार के लिए बहुत बड़ा गुण है । नाटकीय परिभाषा के अनुसार यह एक प्राणवान
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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