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________________ वृन्दावनलाल वर्मा वर्मा जी पुराने खेवे के विख्यात उपन्यासकार और कहानी-लेखक हैं । प्रेमचन्द-युग में ही आप प्रथम कोटि के लेखकों में आ चुके थे। आपके उपन्यासों में नितान्त मौलिकता और निजी व्यक्तित्व विद्यमान है । उपन्यासों के लिए आपने भारतीय मध्ययुगीन इतिहास को चुना । ऐतिहासिक उपन्यासरचना के क्षेत्र में वर्मा जी अद्वितीय हैं। आपकी रचनाओं का इतना श्रादर है कि श्राप हिन्दी के 'वाल्टर स्काट' कहलाते हैं । गढ़ कुण्डार', 'झाँसी की रानी', मृगनयनी','मुसाहिब जू','पानन्दघन', 'राणा साँगा', माधवजीसिंघिया', 'सत्तरह सौ उन्तीस', और 'विराटा की पद्मिनी' या दि आपके ऐतिहासिक उपन्यास हैं और 'अचल मेरा कोई', 'कुण्डली चक्र', तथा 'प्रत्यागत' सामाजिक उपन्यास । श्रारके अनेक कहानी-संग्रह भी निकल चुके हैं-'शरणागत', 'दबे पाँव', तथा कलाकार का दण्ड' आदि। __ उपन्यासकार के रूप में हिन्दी का मस्तक ऊँचा करने के साथ ही वर्माजी का ध्यान नाटक-रचना की ओर भी गया। नाटक-लेखन में भी हिन्दी में श्रापका स्थान बहुत ऊँचा है। नाटककार को प्रतिभा भी आपमें सजग, सशक्त और प्रसन्न रूप में पाई जाती है। आपके अनेक नाटकों का अभिनय भी किया जा चुका है और यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि आपके नाटकों में साहित्यिकता कला और अभिनेयता-सभो गुण, पर्याप्त मात्रा में हैं। उपन्यासों के समान नाटक भी आपने सामाजिक की अपेक्षा ऐतिहासिक ही अधिक लिख्ने । 'झाँसी की रानी', बीरबल','काश्मीर का काँटा', पूर्व की ओर', तथा 'फूलों की बोली' ऐतिहासिक नाटक हैं और राखी की लाज', खिलौने की खोज' एवं 'बाँस की फॉस' श्रादि सामाजिक नाटक । 'सगुन', 'पीले हाथ' और 'लो भाई पंचो लो' आदि एकांकी हैं।
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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