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________________ उदयशंकर भट्ट भट्टजी हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार हैं । कविता के क्षेत्र में भी आपने उसी उत्साह, उल्लास और तीव्र गति से सृजन किया है, जिस उत्साह, उल्लास और तीव्र गति से नाटकीय क्षेत्र में । अपने नाटकों के लिए अापने अनेक काल और जीवन-क्षेत्र चुने । 'प्रसाद' ने जिस प्रकार भारतीय इतिहास से आर्य शक्ति और गौरव का स्वर्ण युग चुना और 'प्रेमी' ने मुगल-काल का वैभवपूर्ण क्षेत्र, उसी प्रकार भट्टजी ने पुराण-काल के जीवन और संस्कृति को अपनी कला का क्षेत्र बनाया। 'सगर-विजय' और 'अम्बा' का अाधार पौराणिक कथावस्तु है। अापके भाव-नाट्यों का विकास भी पौराणिक जीवन-क्षेत्र में हो हुा । 'विश्वामित्र', 'मत्स्यगन्धा', 'राधा' और 'मेघदूत' लिखकर भट्टजी ने प्राचीन-प्रियता का प्रमाण दिया है। ऐतिहासिक जीवन-क्षेत्र से आपने 'दाहर' विक्रमादित्य',* 'मुक्ति-पथ' और 'शक-विजय' के चरित्र और कथावस्तु लिये । 'कमला' और 'अन्त-हीन-अन्त' में आपने सामाजिक समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की है। एकांकी के क्षेत्र में भट्टजी का काम सराहनीय है। श्रापके 'अभिनव एकांकी नाटक', 'स्त्री का हृदय','समस्या का अन्त, 'धूम-शिखा' आदि एकांकी-संग्रह भी प्रकाशित हो *डॉक्टर सोमनाथ गुप्त ने ऐतिहासिक नाटकों की धारा में उल्लेखनीय नाटकों का वर्णन करते हुए 'हिन्दी नाटक-साहित्य का इतिहास' में पृष्ठ २१२ पर लिखा है, "उदयशंकर भट्ट-कृत 'चन्द्रगुप्त मौर्य' (१९३१) और 'विक्रमादित्य' (१९३३)।" इस सम्बन्ध में पण्डित उदयशंकर भट्ट का पत्र उद्धृत किया है, "प्रियवर, ऐसा कोई नाटक मैंने नहीं लिखा", कदाचित् उनको 'विक्रमादित्य' नाटक से भ्रम हुआ है। हाँ, बदरीनाथ भट्ट का शायद एक 'चन्द्रगुप्त' नाटक है। नवीन खोज इसी को कहते हैं । लेखक को पता नहीं, और यहाँ खोज भी कर डाली । सचमुच, यह खोज नहीं ; आविष्कार है। 'हिन्दी नाटक-साहित्य का इतिहास' ऐसी अनेक ऊटपटांग बातों से भरा पड़ा है।
SR No.010195
Book TitleHindi Natakkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaynath
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1952
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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