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________________ ( २२९ ) । तलाव आश्रव रूपी नाले जिस को बन्धन समान सम्बर अर्थात् हिंसादि आरम्भ का त्यागना। ___ ७ सातवां निर्जरा तत्व । सो जप, तप करके पिछले करे हुए कर्मों को क्षय करे तिस को निर्जरा कहते हैं । ८ आठवां बन्ध तत्व । सो आत्म प्रदेशों के ऊपर कर्म रूप पुटगल लगे क्षीर नीर के दृष्टान्त जीव और कर्म के मेल को बन्ध कहते हैं। ९ नवमा मोक्ष तत्व । सो सम्बर भाव करके नये कर्म बान्धे नहीं और पहिले करे हुए कर्मों को निर्जरा करे तव शुभाशुभ कर्म के बन्ध से मुकावे तिस को मोक्ष कहते हैं। इति ॥
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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