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________________ ( २१४ ) ३ काल थकी ४ भावथकी ते द्रव्य थकी समायक शुद्ध सो समायक का उपकरण शुद्ध अर्थात् आसन शुद्ध रक्खे जैसेकि बहुत करड़ा तप्पड़ आदिक का न रक्खे क्योंकि कोई मकड़ी आदिक जीव मसला न जाय और बहुत नर्म नमदादि का भी न रक्खे क्योंकि कोई पूर्वोक्त जीव फस के न मर जाय ॥ सो लोई तथा कम्बल तथा बनात तथा और सामान्य वस्त्र का आसन रक्खे और पत्थर आदिक की भारी माला न रक्खे सूत की तथा काष्ट की माला सो भी हलकी होय तो रक्खे और पूंजनी अन उपूर्वी पोथी शुद्ध रक्खे १ खेत्रथकी समायक शुद्ध सो पूर्वक एकांत स्थान समायक करे अपितु नाटक चेटक के स्थान तथा चूल्हे चक्की के
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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