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________________ चौथा अध्याय] बहिर्जगत् । ७५ कर दिया है कि कितनी गति या गतिरोधसे कितना या कितनी डिगरी ताप पैदा होता है । उन्नीसवीं शताब्दीके आरंभमें डाक्टर यंगने यह साबित कर दिया था कि प्रकाश भी कोई वस्तु नहीं है, बल्कि वस्तुविशेष अर्थात् ईथरका स्पन्दन या गति है। यही मत अबतक सर्वसम्मत हो रहा है। और क्लार्क मैक्सवेल साहब इस बातको एक प्रकारसे प्रमाणित कर चुके हैं कि प्रकाशवटित क्रिया और वैद्युतिक क्रियामें बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है। किन्तु यह अब तक कोई भी नहीं कह सका कि माध्याकर्षण भी ईथरकी किसी प्रकारकी केया है। जो कुछ हो, आशा की जा सकती है कि विज्ञानके अनुशीलन द्वारा केसी समय यह प्रमाणित हो जायगा कि जड़ जगत्की सभी क्रियाएँ ईथरके स्पन्दन या गतिसे उत्पन्न हैं (.)। और, ऐसी आशा भी हो सकती है के “जड़ पदार्थ भी उसी ईश्वरकी घूर्णायमान केन्द्रिसमष्टि है," यह एक देन सिद्ध हो जायगा। किन्तु यहाँ पर कुछ कठिन प्रश्न उठते हैं। जिसकी तरंग या नर्तन या स्पन्दन ( क्योंकि वह गति किस प्रकारकी है, यह कोई अभी तक ठीक नहीं कह सका) से ताप, आलोक, विद्युत् आदिकी क्रियाएँ उत्पन्न होती हैं, जिसका घूर्णायमान केन्द्र ही परमाणुओंका उपादान कारण है-और वही केन्द्रसमष्टि जड़ पदार्थके रूपमें प्रतीयमान होती है, वह ईथर किस प्रकारका पदार्थ है ? स्थूल जड़के साथ शक्तिका जैसे सम्बन्ध है, वैसा ही ईथरके साथ शक्तिका सम्बन्ध है या नहीं ? जब उस ईथरमें गति है तब वह गति संकोच और प्रसारके द्वारा संपन्न होती है या अन्य किसी प्रकारसे ? अगर ईथरमें संकोच-प्रसारका होना संभव है, तब उसके भीतर शून्य स्थान रहना चाहिए; तो फिर वह विश्वव्यापी कैसे हो सकता है ? फिर वह स्थूल जड़पदार्थके. भीतर व्याप्त है; किन्तु वह व्याप्ति भी कैसे निष्पन्न होती है ?--इन सब प्रश्नोंका उत्तर देना अभीतक विज्ञानकी शक्तिके बाहर ही है। असल बात यह है कि विज्ञानकल्पित ईथर इन्द्रियगोचर पदार्थ नहीं है। मगर हाँ, प्रकाश, बिजली चुम्बक आदिकी इन्द्रियगोचर क्रियाओंके कारणकी खोज करनेमें, ईथरका अस्तित्व अनुमान-सिद्ध जान पड़ता है। (१) Preston's Theory of Light, introduction P. 26 देखो।
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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