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________________ चौथा अध्याय ] सामाजिक नातिसिद्ध कर्म । २९७ www.mmmmmmmmmmmmmmmmmmmm. अपनी अवस्था उत्तरोत्तर अच्छी बनानेकी कोशिश करता है। किन्तु उस चेष्टाकी सफलता धनके ऊपर निर्भर है, और उस धनकी आमदनी अगर विद्यार्थियोंसे मिलनेवाली फीस और स्थानीय लोगोंसे मिलनेवाले चंदेके सिवा और कुछ न हो, और उसका परिमाण अगर दो विद्यालयोंके चलनेके लिए यथेष्ट न हो, तो एक ही जगह दो विद्यालय चलाना सुयुक्तिसंगत नहीं है। विद्यालयके सम्बन्धमें जो कहा गया वही अन्यान्य ज्ञानानुशीलन समितियोंके बारेमें भी कहा जा सकता है। प्रतियोगिताको रोकनेके लिए कोई कोई इतने व्यग्र हैं कि उनके मतसे अर्थका अभाव (धनकी कमी) न रहने पर भी, एक स्थानमें एक प्रकारके एकसे अधिक ज्ञानानुशीलन समाजोंका रहना अन्याय है । लेकिन यह मत ठीक नहीं जान पड़ता । कारण, ऐसी जगह ऊपर दिखाया गया प्रतियोगिताका दोष होनेकी आशंका नहीं है, और प्रतियोगिताका ऊपर कहा गया सुफल होनेकी संभावना सर्वथा है। ज्ञानानुशीलन समितिके सम्बन्धमें और एक साधारण नीति यह है कि जो लोग इस तरहकी किसी समितिके अधिवेशनमें उपस्थित होते हैं, उन्हें वहाँ अन्त तक शान्तभावसे रहना चाहिए । ऐसी आशा नहीं कि जा सकती कि सभाके सभी कार्य सभीके लिए ज्ञानप्रद या मनोरंजक होंगे । किन्तु इसी लिए अगर ऐसा हो कि जिसका जब जी चाहे उठकर चल दे, तो सभाका काम अच्छी तरह चलनेमें विघ्न पड़ सकता है । उपस्थित सभ्योंके बीच बीचमें उठकर चले जानेकी गड़बड़में, जो लोग बैठे रहते हैं वे सभाके कार्यमें अच्छी तरह मन नहीं लगा सकते, उसमें बाधा पड़ती है । अगर कोई कहे कि इच्छा न रहनेपर भी सभामें बैठे रहना कष्टकर होता है, तो वैसे आदमियोंको सभामें जानेके पहले इस बात पर विचार कर लेना चाहिए। यह बात भी नहीं कही जा सकती कि सभा-समितियोंमें उपस्थित होना या न होना सर्वत्र सभ्योंकी इच्छाके अधीन है। किसी कार्यकारिणी सभाका -सभ्य होनेसे, उस सभाके अधिवेशनमें यथासाध्य उपस्थित ही होना चाहिए। उपस्थित न होनेसे उसे कर्तव्य-पालनमें त्रुटि समझना होगा । जो लोग इस तरहकी सभाके सभ्य नियुक्त होकर भी नियमानुसार उपस्थित नहीं होते या उपस्थित नहीं हो सकते, उन्हें वह पद छोड़ देना चाहिए । ऐसा
SR No.010191
Book TitleGyan aur Karm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupnarayan Pandey
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1921
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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